Cinema 70 mm / Review – 4/5*- By Act Abhi –
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मरनेवालों का यही बाकी निशां होगा
कभी वह दिन भी आएगा जब अपना राज देखेंगे
जब अपनी ही जमीं होगी और अपना आसमां होगा।
जगदंबा प्रसाद मिश्र ‘हितैषी’ की ये पंक्तिया आजादी के उन मतवालों को नमन करने पर मजबूर कर देती है।
फिल्म देखने के बाद ये शब्द दिल से जुबां पर आ ही गए ……..
वो मतवाले कहते होंगे कि
मेरा खून बह रहा है मेरे देश की खातिर
इस देश की मिट्टी का कर्ज अब तुमको चुकाना है
इस देश को सींचा है शहीदों ने अपने लहू से
इस देश के लिए तुमको हर फ़र्ज़ निभाना है।
ना गिरने पाए शान इस देश की ये याद रखना
इस आज़ादी को बड़े जतन से पाया है
नहीं है कोई तुझ जैसा, नहीं है कोई मुझ जैसा
ये धरती स्वर्ग से आई है नहीं है कोई भारत जैसा। (Act Abhi )
जलियावाला बाग़ हत्याकांड की इस त्रासदी के बारे में जितनी बार भी याद किया जाता है उन मासूमो की निर्मम हत्या और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ वो गुस्सा उभर ही आता है और दिल में बस एक ही बात आती है कि वो क्या लोग रहें होंगे और क्या भयानक मंजर होगा ? ।
केसरी 2 फिल्म रघु पलात और पुष्पा पलात द्वारा लिखित द केस दैट शुक द एम्पायर, सी. शंकरन नायर पर केंद्रित है (The Case That Shook The Empire by Raghu Palat and Pushpa Palat, centred around C. Sankaran Nair ) इस फिल्म में सी शंकरन नायर के जलियावाल बाग़ हत्याकांड के लिए ब्रिटिश सरकार और जरनल डायर के खिलाफ केस लड़ते है।
फिल्म में अक्षय कुमार ने सी शंकरन नायर की भूमिका निभाई है। इस फिल्म के बनने से पहले शायद ही भारत के लोग सी शंकरन नायर को और उनके इस केस के बारे में जानते होंगे।
कहानी – फिल्म केसरी 2 की कहानी जालियवाला बाग़ हत्याकांड से शुरू होती है और उस हत्याकांड के हत्यारे को सबके सामने लाने की जद्दो जहद से शुरू होती है। जरनल डायर ने अपनी सनक और भारतीयों से नफरत के चलते जलियावाला बाग में बैसाखी के दिन निर्दोष निहत्तों पर गोलियाँ चलवादी। इस हत्याकांड में बच्चे, बूढ़े ,औरतों की बेरहमी से हत्या करवा दी गई। इस हत्याकांड के बाद जब उस समय के अखबारों ने जब इसके बारे छापा तो प्रेस में सारे अखबार जला दिए गए। इस बारे में विरोध प्रदर्शन होने लगा तो ब्रिटिश सरकार ने मुआवजे का ऐलान कर दिया और दिखाने के लिए गवर्नर ने एक कमीशन बना दिया , जिसमे एक भारतीय.सी शंकरन नायर को भी शामिल कर लिया गया। लेकिन शंकरन नायर ने देखा की भारतीयों के हत्याकांड पर बिर्टिश सरकार द्वारा मजाक बनाया जा रहा है। ये बात उनके दिल को छू गई। इस सब के बाद एक युवा क्रांतिकारी, परगट सिंह (कृष्ण राव) की मौत से सी शंकरन नायर को बहुत आघात पहुँचता है। कानून की छात्रा दिलरीत गिल (अनन्या पांडे) सी शंकरन नायर से मिल कर उनको जालियवाला बाग़ हत्याकांड में जनरल रेजिनाल्ड डायर के खिलाफ अदालत में केस फाइल करने को कहती है और युवा क्रांतिकारी परगट सिंह की याद दिलाती है। सी शंकरन नायर केस लड़ने को तैयार हो जाती है और कोर्ट में जब केस पहुँचता है तो लेकिन पूरा ब्रिटिश तंत्र जर्नल डायर को बचाने में लग जाती है और आखिर में शंकरन नायर कुछ ऐसा करते है जिससे ब्रिटिश सरकार की नीव हिल जाती है ।
पटकथा – फिल्म की पटकथा की बात करें तो फिल्म जिस तरह बनाई गई है वो अपनी बात दर्शकों को समझाने में सफल होती है। यह फिल्म रघु पलात और पुष्पा पलात द्वारा लिखित किताब द केस दैट शुक द एम्पायर, सी. शंकरन नायर पर आधारित है। फिल्म अपनी बात कहने में सफल रही है। फिल्म की पटकथा कसी हुई है।
अभिनय – अभिनय की बात करें तो अक्षय कुमार ने सी शंकरन नायर की भूमिका निभाई है। और उन्होंने इस किरदार को बड़ी ही संजीदगी से निभाया है। अनन्या पांडे ने कानून की छात्रा दिलरीत गिल की भूमिका निभाई है और वो भी अपने किरदार के साथ न्याय करती दिखाई दी है। वैसे जिस किरदार को अनन्या ने निभाया है उस के लिए अगर किसी नई अभिनेत्री को इस भूमिका के लिए किया जाता तो भी कोई विशेष अंतर नहीं होता। अब बात करते है आर माधवन की उन्होंने नेविल मैककिनले एक एंग्लो-इंडियन वकील की भूमिका निभाई है। अपने किरदार में उन्होंने शानदार काम किया है। जैसा वो अक्सर करते हैं। बाकी सभी कलाकारों ने कहानी के अनुरूप काम किया है।वैसे इस विषय पर फिल्म बनाने के लिए अक्षय कुमार बधाई के पात्र हैं।
सेंसर बोर्ड – वैसे किसी फिल्म की समीक्षा लिखते समय भारतीय सेंसर बोर्ड के बारे में नहीं लिखा जाता पर इस बार लगा की कि दो शब्द तो इसके लिए बनते हैं।एक बात जो भारतीय सेंसर बोर्ड के लिए कहना चाहूंगा पता नहीं कभी कभी ऐसा लगता है कि हमारा सेंसर बोर्ड शहीदों के खून की तपिश को आज के भारतीय युवाओं तक पहुंचने नहीं देना चाहता है। अक्षय कुमार द्वारा अभिनित केसरी 2 फिल्म को “A” यानी केवल वयस्कों के लिए का प्रमाण पत्र देना हमारे शहीदों का अपमान से काम नहीं है। बच्चे बच्चे को जालियवला बाग़ हत्याकांड और उन शहीदों और उस हीरो सी शंकरन नायर के बारे में जानें का अधिकार है। लेकिन सेंसर बोर्ड इस प्रकार के विषयों को केवल वयस्कों के लिए का प्रमाण पत्र देकर इस विषय को सीमित करके क्या साबित करना चाहता है। यह बात सोचें योग्य है।
इस फिल्म को क्यों देखें – आज हम स्वतंत्र भारत में सांस ले रहें है स्वतंत्रता कितनी अमूल्य है। इसकी कीमत का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है। इस आज़ादी के लिए कितने ही आज़ादी के मतवालों ने अपने प्राण नौछावर कर दिये उनमे से कितने गुमनामी की गर्त में समा गए। उन आज़ादी के मतवालों को नमन करने के लिए , जलियावाला बाग़ के हत्याकांड के उस दर्द को महसूस करने और उनको नमन करने के लिए और सी शंकरन नायर साहब के बारे में जानने के लिए , इतिहास में दर्ज उस अनोखी कहानी को जानने के लिए इस फिल्म को देखना तो बनता है। जय हिन्द।