Cinema 70 MM Mumbai – ActAbhi –
बिमल रॉय भारतीय नहीं बल्कि विश्व सिनेमा में अपनी एक अलग पहचान रखते हैं । दो बीघा जमीन फिल्म के बाद वह लोगों के दिल पर राज करने लगे थे । समाजवादी विषय पर बनी यह फिल्म भारतीय भारतीय सिनेमा ही नहीं बल्कि विश्व सिनेमा में एक ट्रेंड सेटर फिल्म के रूप में अपने आप को स्थापित करती है ।
जमीदार के बेटे थे बिमल रॉय
विमल राय का जन्म 12 जुलाई 1909 को शाहपुर ढाका जिले के पूर्वी बंगाल और असम जो अब बांग्लादेश का हिस्सा है के एक बंगाली जमींदार परिवार में हुआ था।
पिता की आकस्मिक मौत के बाद पारिवारिक विवाद के चलते उन्हें ज़मींदारी से बेदखल होना पड़ा। पढ़ाई करने के बाद फिल्मों में काम करने के लिए कोलकाता चले आए ।
विमल राय हिंदी और बंगाली भाषा में फिल्में बनाई । परिणीता, विराज बहू ,मधुमति ,सुजाता, परख बंदिनी जैसी प्रमुख फिल्में रही हैं ।
फिल्मों में करियर की शुरुआत
विमल के फिल्मी करियर की शुरुआत कोलकाता के न्यू थियेटर्स स्टूडियो में बतौर कैमरामैन के रूप में हुई थी। इसी जगह से एक महान डायरेक्टर ने अपना आकार लेना शुरू किया । उनकी प्रतिभा को देखते हुए स्टूडियो के मालिक बी एन सरकार ने उन्हें स्टूडियो में बचे हुए रील से अपना डायरेक्शन का काम करने की इजाजत दे दी। इन्हीं बचे हुए रेल से उन्होंने 1944 में उदार पार्थो बनाई जो उसे वक्त की हिट फिल्म साबित हुई। इसके बाद हिंदी में हमराही नाम से इसका रीमेक बनाया गया ।
दो बीघा जमीन
1953 में बिमल रॉय द्वारा निर्देशित फिल्म दो बीघा जमीन भारतीय सिनेमा की बेमिसाल फिल्मों में से एक माना जाता है । इसको रविंद्र नाथ टैगोर की बंगाली कविता दुई बिगहा जोमी पर बनाया गया था । इस फिल्म में बलराज साहनी निरूपा रॉय, मीना कुमारी मुख्य भूमिका में हैं । अपने समाजवादी विषय के लिए जानी जाने वाली इसे भारत के प्रारंभिक समानांतर सिनेमा में एक महत्वपूर्ण फिल्म और एक ट्रेन सीटर के रूप में जाना जाता है ।
इस फिल्म की सफलता के लिए सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए ऑल इंडिया सर्टिफिकेट ऑफ मेरिट से सम्मानित किया गया यह फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार जीतने वाली पहली फिल्म बनी और नीचा नगर के बाद कौन सी फिल्म फेस्टिवल में अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय फिल्म बन गई ।
राज कपूर ने कहा था की फ़िल्म एक हज़ार साल बाद सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की सूची बनी तो भी दो बीघा ज़मीन फिल्म की टॉप 100 फ़िल्मो में जगह पक्की होगी । वहीं मधुबाला को विमल के साथ काम ना कर पाने का अफसोस रहा था ।
दो बीघा जमीन से जुड़ा एक किस्सा
दो बीघा ज़मीन फिल्म में बलराज साहनी शंभू की मुख्य भूमिका निभा रहे थे । फिल्म के निर्माण के दौरान एक सीन में उन्हें जमीन के टुकड़े के लिए जमींदार से भीख मांगनी थी विमल राय ने जमींदार का किरदार निभा रहे मुराद को चुपके से साहनी के पैरों से झटका देने के लिए कहा लेकिन मुराद का पैर सहानी के चेहरे पर आ गया। कहा जाता है कि इस सीन से बलराज साहनी ने इतना अपमानित महसूस किया कि वह रोने लगे लेकिन बाद में जब मुराद ने साहनी से माफी मांगी और सारा सच बताया और बताया की सीन को अच्छा बनाने के लिए यह ट्रिक की गई थी । दो बीघा जमीन फिल्म को ऋषिकेश मुखर्जी ने एडिट किया था उस वक्त वो बिमल के सहायक के रूप में काम कर रहे थे।
सम्मान
विमल राय को 1954 में कौन सी फिल्म फेस्टिवल में अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार के अलावा 11 फिल्मफेयर और दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार शामिल हैं । विमल राय की बेहतरीन फिल्मों की सूची में दो बीघा जमीन, विराज बहू ,मधुमती, सुजाता, देवदास और बंदिनी है । 1958 में बनी फिल्म मधुमति को 9 फिल्मफेयर पुरस्कार मिले उनके नाम जो रिकॉर्ड 37 साल तक कायम रहा ।
बिमल राय का एक निर्देशक के रूप में कद
विमल राय ने अपनी फिल्मों के माध्यम से भारतीय समाज के मानवीय पहलू को दिखाने की कोशिश की और उस कोशिश में वह पूरी तरह सफल रहे दो बीघा जमीन फिल्म बना कर वो अमर हो गए।
संगीतकार सलिल चौधरी को बिमल रॉय ने दो बीघा जमीन के लिए हिंदी सिनेमा में ब्रेक दिया और सलिल ने संगीतकार के साथ इस फिल्म की कहानी भी लिखी थी। सलिल चौधरी ने बलराज साहनी को दो बीघा जमीन में मुख्य भूमिका के लिए विमल से मिलवाया था ।
अंतिम समय
विमल राय का 56 साल की उम्र में कैंसर की बीमारी से निधन हो गया था उनकी मृत्यु 8 जनवरी 1966 को हुई । उनके परिवार में पत्नी और चार बच्चे हैं ।