समय भास्कर / ActAbhi –

साड़ी , जब यह शब्द सुनने को मिलता है तो सबसे पहले याद आती है माँ। हमारी अपनी प्यारी माँ।  साड़ी भारत की हर माँ ,मौसी, बहन,ताई, पड़ोस वाली आंटी, जीजा की साली सभी की तो पहचान है । सही मायनों में  उनके जीवन का एक अभिन्न अंग। रोज के दैनिक काम हो ,कोई त्यौहार हो ,शादी हो, मुंडन हो सभी जगह साथ रहती है यह साड़ी । ऐसी ही साड़ी  और सखी की कहानी पर अरुण गौरिसारिआ की लिखी हुई कविता के सुन्दर शब्दों को फिल्म निर्देशक मिहिर उपाध्याय ने एक शॉर्ट फिल्म के माध्यम से दिखाने का एक सार्थक प्रयास किया है।

बात करें इस शार्ट फ़िल्म मेरी सखी की तो “जब नए दिन की शुरुआत होती है  तब तुम मेरे साथ होती हो” सुबह की ताजगी के साथ यह फिल्म शुरू होती है और अंत तक आपको आपके बचपन से लेकर जबानी और बुढ़ापे की यादों को तरो ताज़ा कर देती है। इस विषय पर एक फिल्म बनाने की सोचना, अरुण की लिखी कविता को आत्मसात करके इस भाव को दर्शकों तक पहुंचाने में मिहिर सफल रहें है ।कविता के शब्द इतने सुंदर हैं कि ,इनको सुनना अपने आप में एक अलग तरह की अनुभूति देता है । मिहिर ने फिल्म का निर्देशन अच्छा किया है। क्योकि कम समय में अपनी बात को कहना एक बहुत बड़ी कला है और मिहिर इसमें सफल रहें है । फिल्म की सिनेमेटोग्राफी की बात करें वह भी अच्छी है।  इस 4 मिनट की फिल्म की आवाज़ बनी हैं अभिनेत्री शेफाली शाह। शेफाली ने इसको बखूबी बयान किया है।  इस शार्ट फिल्म के अंत में अगर शेफाली शाह को भी शामिल कर लिया जाता तो बात और भी बन जाती ।

कुल मिला कर कहा जाये तो अरुण गौरिसारिआ के शब्द ,मिहिर उपाध्याय की कल्पना , उनका निर्देशन और शेफाली शाह की भावपूर्ण आवाज । इन तीनों ने पूरी सार्थकता के साथ साड़ी और सखी के रिश्ते को बयान किया है।

 

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