सिनेमा 70mm मुंबई / ActAbhi -3/5 – लगता है हिंदी सिनेमा और अगर कहें तो बॉलीवुडिया सिनेमा वालों ने कसम खा ली है जनता को बेवक़ूफ़ बनाना हैं। कहीं से भी उठाओ इसको लो उसको लो और जनता के सामने परोस दो। क्या एक अच्छे आईडिया को बर्बाद कर दिया ? कमजोर स्क्रीनप्ले और औसत दर्जे की एक्टिंग, तरस आने वाले संवाद बचा पायेगी सावी की जान ? जब सवी का ट्रेलर आया था उस ट्रेलर को देखने के बाद लगा था सावी दर्शकों की उमीदों पर खरी उतरेगी और काफी समय बाद एक अच्छी फिल्म देखने को मिलेगी।

कहानी – फिल्म की कहानी के बारें में बात करें तो एक हॉलिवुड फिल्म से प्रभावित है।यानी आईडिया ……. . ? फिल्म का प्लाट यानि कथानक अच्छा है। एक इंग्लैंड में रहने वाले भारतीय दम्पति दिव्या खोसला और हर्षवर्धन राने के जीवन में उस समय भूचाल आता है जब दिव्या के पति को खून के आरोप में पुलिस गिरफ्तार कर लेती है। उस समय सारे सबूत उसके खिलाफ होने का कारण दिव्या के पति को 12 साल की सज़ा हो जाती है। इसके बाद शुरू होता है अपने पति को बचाने का सिलसिला ,यानी सावी से सावित्री बनने का सिलसिला जिसमें अनिल कपूर दिव्या की सहायता करते हैं ।

कहानी की पटकथा (स्क्रीनप्ले )- फिल्म का स्क्रीन प्ले काफी कमजोर है । एक अच्छे प्लाट को बर्बाद कर दिया। इस तरह की कहानी में जो सस्पेंस होना चाहिए वो सावी में दिखाई नहीं दिया। पहला हाफ काफी धीमा है। फिल्म को बहुत ही कम लोकेशन पर शूट किया है। लोकेशन बहुत रिपीट होती है जिसके कारण फिल्म में दर्शकों की दिलचस्पी ख़त्म होती है । जिस प्रकार से फिल्म का प्लाट है अगर स्क्रीन प्ले ठीक होता तो बात बन सकती थी। फिल्म का दूसरा हाफ थोड़ा से इंट्रस्टिंग दिखाई देता है। लेकिन पूरी कहानी से आप अंत तक जुड़ नहीं पाते हैं।

एक्टिंग – फिल्म में दिव्या और हर्ष वर्धन मुख्य भूमिका में हैं। दिव्या फिल्म में अपने किरदार को करने की कोशिश करती दिखाई दे रही है। हर्षवर्धन के पास फिल्म में कुछ करने को नहीं है। फिल्म में अगर कोई दिखाई देता है तो वो हैं अनिल कपूर। फिल्म में जितना भी मनोरंजन है उसकी वजह है अनिल कपूर। अनिल ने शानदार काम किया है। आखिर हो भी क्यों ना वो एक मंझे हुए अभिनेता हैं।

निर्देशन – फिल्म का निर्देशन बहुत ही औसत दर्जे है। फिल्म के निदेशक अभिनव देव ने क्या सोच कर इस कहानी का आईडिया लिया ? जिस प्रकार के टीज़र आये थे उससे लग रहा था कि हॉलीवुड का सिनेमा देखने को मिलेगा। सिनेमा तो नहीं मिला। ऐसी कहानी पर पहले हॉलीवुड में फिल्म बन चुकी है। यह फिल्म The Next Three Days by Paul Haggis पर बनी है और यह फिल्म भी एक फ्रैंच फिल्म Anything for Herby Fred Cavayé का भारतीय वर्जन है सावी। निर्देशक को ध्यान रखना चाहिए था कि आज के युग में भारतीय दर्शक वो सभी फिल्में देखतें है। जो पहले के समय में दूर की कौड़ी हुआ करती थी। फिल्म की कमजोरी की बात करें तो कलाकारों से अभिनय करवा नहीं पाए और इसका स्क्रीनप्ले । फिल्म में दिव्या खोसला ने कहीं कहीं ऐसे संवाद बोले है कि क्या ही कहें । कहानी में आगे क्या होगा दर्शक आसानी अंदाजा लगा सकते हैं। डायरेक्टर ने फिल्म को इंट्रेस्टिंग बनाने का कोई प्रयास नहीं किया। फिल्म के कुछ संवाद असीम अरोरा ने क्या सोच कर लिखे है ? यह तो वो ही जान सकते हैं या डायरेक्टर।

संगीत – फिल्म का संगीत ठीक ठाक। संगीत विशाल मिश्र, जावेद मोहसिन , पियूष शंकर और अर्कादीप कर्मकार ने दिया है । बैकग्राउंड स्कोर थोड़ा ठीक किया गया है।

फिल्म क्यों देखें –अगर आप 99 रूपये में AC में समय बिताना चाहतें है और अगर आप दिव्या खोसला और अनिल कपूर को कुछ नया करते देखना चाहते हैं और अगर आपने इस आईडिया पर बनी फ्रैंच फिल्म और हॉलिवुड फिल्म नहीं देखी तो आप तो फिल्म देख सकते हैं। एक बार फिल्म को एक बार देखा जा सकता है।

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