Cinema70mm / Review By – ActAbhi – 3*/ 5* – 

एक मील का पत्थर स्थापित होने के बाद दूसरा स्थापित करना थोड़ा भारी  पड़ जाता है।अगर उस कार्य को करने की दिशा बिगड़ जाये ।   ऐसा ही कुछ स्त्री 2 के साथ हुआ प्रतीत होता है । दिनेश विजन अपनी हॉरर कॉमेडी के लिए प्रसिद्ध हैं और उनके द्वारा काफी अच्छी फ़िल्में बनाई जा रही है । दिनेश को पता है कि एक सही हॉरर फिल्म बनाना काफी चुनौतीपूर्ण काम हैं।  इसी बात को समझते हुए वो कॉमेडी के साथ हॉरर का शानदार तड़का लगाते है ।  इस काम में वो सफल हो चुकें है। मुँज्या उनकी हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म थी । जोकि  थिएटर में दर्शकों को खींचने में सफल रही थी। स्त्री तो सभी को याद है ना। इस फिल्म ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया था। स्त्री फिल्म की सफलता के बाद से ही इसके दूसरे पार्ट के आने के चर्चे होने लगे थे। काफी समय बाद इसका दूसरा पार्ट स्त्री 2 रिलीज़ हो चुका है।  इसको मच अवेटेड फिल्मों में से एक कहा जा रहा था। इस फिल्म ने निराश किया है।  स्त्री 2 अपने पहले भाग की ताजगी को बरक़रार नहीं रख पाई है ।अगर ऐसा कहें  तो कुछ गलत नहीं होगा।  फिल्म निर्माता ने बहुत कुछ करने की कोशिश कर दी है जो सफल होती दिखाई नहीं दी है। फिल्म के बारे में बताया जा रहा है कि इस फिल्म की एडवांस बुकिंग हो रही है। अब फिल्म कैसी है यह बात तो दर्शक तय करेंगे।

कहानी – फिल्म की कहानी स्त्री फिल्म जहाँ ख़तम होती है वहां से शुरू होती है। चंदेरी गाँव से स्त्री जा चुकी है। सारे लोग अपने काम में खुश है और हर साल गाँव में स्त्री की पूजा होती है। लेकिन स्त्री के  जाने के बाद  चंदेरी गाँव से अचानक गाँव की लड़कियाँ  गायब होने लगती है।  पंकज त्रिपाठी के यहाँ एक चिट्ठी आती है जिसमे कुछ फटे हुए पन्ने मिलते है। गाँव से लड़कियों के गायब होने के चलते सभी लोग परेशान है।  पंकज त्रिपाठी , राजकुमार राव ,अपार शक्ति खुराना सभी मिलकर अभिषेक बनर्जी यानी जना को बुलाने में दिल्ली जाते है।  उन लोगो को पता है कि जना में स्त्री का अंश है और अब इस गाँव को सरकटे से स्त्री ही बचा सकती है। स्त्री सरकटे का कुछ नहीं बिगाड़ पाती है। इसके बाद सभी लोग परेशान हो जाते हैं । राजकुमार राव को बताया जाता है कि वो ही गाँव के लोगो को सरकटे से बचा सकता है।  जना को डर के कारण नींद नहीं आती है। उसको ,क्या होने वाला है और अभी क्या हो रहा है वो दिखाई देने लगता है। स्त्री श्रद्धा कपूर और  राजकुमार राव सरकटे के स्थान पर जाते है और वहां पर स्त्री ,भेड़िया वरुण धवन ,श्रद्धा कपूर और राजकुमार राव सरकटे  से मिलकर  लड़ते हैं। । एक पुराना  चाकू है , जिसको सिर्फ राजकुमार राव ही निकाल सकता है। वो चाकू को निकाल कर स्त्री को दे देता है और स्त्री सरकटे को मार देती है।

स्क्रीनप्ले –  फिल्म की पठकथा ऐसी लिखी गई है जिसमे आपको एक पल डराने की कोशिश की जाती है तो दूसरे ही पल फिल्म के किरदार आपको हँसाते नज़र आते हैं।  फिल्म अपनी कहानी के अनुसार चलती है। डर फिर हंसी लेकिन फिल्म के शुरू होते ही ,दर्शक फिल्म से जुड़  नहीं पायेंगे ।  सरकटा आता है तो डराने की कोशिश होती है और अगले ही पल ऐसा लगता है कि फिल्म के पात्र अपने आप में ही मगन दिखते है। हॉरर के हिसाब से फिल्म में सरप्राइजिंग एलिमेंट की कमी  दिखती है पर ऐसा पहले पार्ट में नहीं था। अब बात करें कॉमेडी की तो हँसाने के लिए पूरा जोर लगाते हुए दिखाई देते है।  हँसाने के लिए बहुत सारे डबल मीनिंग जोक्स का भरपूर इस्तेमाल किया गया है। जब कॉमेडी के लिए स्तर गिराना पड़े तो कामेडी प्रभावहीन होने लगती है । जिस कॉमेडी और होर्रर को बड़ी सहजता से दिनेश विजन इस्तेमाल करते रहें है।  उसकी कमी साफ़ दिखाई दी।  यह स्क्रीनप्ले की सबसे बड़ी खामी है।  एक बात और फिल्म को बनाते समय सब कुछ करने और सारी चीजें डालने की कोशिश की गई है। जिससे फिल्म की ताज़गी ख़तम होने लगती है।

निर्देशक – इस फिल्म का निर्देशन अमर कौशिक ने किया है और अमर अपना काम जानते है। उन्होंने स्त्री के पहले भाग में इसको करके दिखाया है।  कॉमेडी और होर्रर का मिश्रण करना वो बखूबी से जानते हैं। बस इतना कह सकता हूँ कि अगर किसी सब्जी में नमक की कमी हो जाये तो सब्जी अच्छी बनने बनते रह जाती है। इस फ़िल्म में उस नमक की कमी खलती है।  सरकटे की आवाज़ डराती नहीं है बल्कि कानो को चुभती है ।

लेखक – इस फिल्म को लिखा है निरेन भट्ट ने ,कहानी जैसी अमर कौशक, दिनेश विजन की होती है। वैसी ही है। लेकिन एक बात बहुत ख़ास है कॉमेडी को लिखना वो भी क्लीन कॉमेडी को स्त्री 2 को देख कर लगता है। ऐसा करना संभव नहीं है। निरेन भट्ट  की राइटिंग से तो ऐसा ही लगता है ।  हँसाने के लिए बहुत सारे डबल मीनिंग जोक्स से दर्शकों का सामान होने वाला है। जो कि फिल्म के स्तर को गिरा देते है। गिरे हुए आदमी पर तो दुनिया हंसती है।

संगीत – सचिन जिगर ने अच्छा संगीत दिया है। जो कबीले तारीफ है। फिल्म के सफल होने में बहुत बड़ा योगदान देता है। “तू आई नहीं “काफी अच्छा गाना है। वहीं तमन्ना भाटिया पर फिल्माया गया गाना “आज की रात”  इसके अलावा “तुम्हारे ही रहेंगे हम ” और “खूबसूरत” अच्छे गाने है और उनको सुना जा सकता है।

अभिनय – सभी ने अच्छा अभिनय किया है। बात करें पंकज त्रिपाठी की तो उन्होंने अपने किरदार रूद्र को पकडे रखा है और कॉमेडी का तड़का जब भी फिल्म में  आते हैं लगा कर जाते है। श्रद्धा कपूर फ़िल्म में थोड़े समय के लिये आई हैं उतने में जितना काम है उस हिसाब से उन्होंने अच्छा काम किया है। वहीं राज कुमार राव ने विक्की, अपार शक्ति खुराना ने बिट्टू और अभिषेक बनर्जी ने जना का किरदार को ठीक तरह से निभाया है। किरदार कॉमेडी करते नज़र आते है पर डबल मीनिंग जोक्स के कारण हसी तो आती है लेकिन आते ही चली भी जाती है। इस फिल्म का एक धमाका है वो है अक्षय कुमार की एंट्री। अक्षय जब तक फिल्म में रहते हैं फिल्म में दर्शको के चेहरे पर हसी बनी रहती है। फिल्म में भेड़िया भी आता है वो है वरुण धवन।वो भेड़िया फिल्म का प्रमोशन करते दिखाई दिए है।

फिल्म को क्यों देखें – पहला अगर आप स्त्री फिल्म का दूसरा पार्ट देखना चाहते है। डबल मीनिंग जोक्स पर हँसना चाहते है ।श्रद्धा कपूर को देखना चाहते है। इसके साथ ही हॉरर और कॉमेडी की जुगलबंदी देखना चाहते है तो यह फिल्म आपके लिए है ।

 

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