Cinema70mm / Review By ActAbhi – 3.5*/5* – आज के समय में जहाँ एक तरफ समय और पैसा बर्बाद करने वाली फिल्में और वेब सीरीज बन रही है । दूसरी तरफ़ इन सब के बीच में कुछ ऐसी भी कहानी आ रही है जो दर्शकों को पसंद आने वाली है । इसमें हर वो चीज़ डालने की कोशिश की गई है जिससे दर्शकों का मनोरंजन होना तय है। अच्छी कहानी अच्छा स्क्रीनप्ले और उसके साथ अगर शानदार एक्टर का साथ मिल जाये तो दर्शकों के पैसे वसूल। जासूसी कहानियों में उन कहानियों की पटकथा बहुत महत्वपूर्ण होती है। इन कहानियों में अंत तक सस्पेंस कायम रखना वाकई कठिन काम होता है। आज कल बहुत सी ऐसी सीरीज की भरमार है। जिसमे इस तरह का कंटेंट देखने को मिलेगा। मतलब क्राइम थ्रिलर। क्राइम को फॉरेंसिक साइंस की सहायता से सुलझाता देशी शेरलॉक होम्स यानी शेखर होम्स।व्योम केश बख्शी 90 के दशक में बहुत प्रसिद्ध हुआ था । भारतीय टेलीविजन पर लोगों ने इसे खूब पसंद किया था। यह सीरीज बंगाल की पृष्ठभूमि रखती है । दर्शकों को यह सीरीज पसंद आने वाली है । यह सीरीज भी 1990 के दशक की कहानियों पर आधारित है ।
कहानी – बंगाल की पृष्ठभूमि पर बंगाल के एक शांत शहर लोनपुर से शुरू होती है । जहां पर एक कैफे चलाने वाली आंटी के यहाँ किरायेदार रह रहा है । नाम है शेखर होम्स । वहीं पर एक और किरायेदार कैफ़े वाली आंटी के यहाँ किराए पर रहने आता है । शेखर लोनपुर में होने वाली छोटी मोटी घटनाओं का खुलासा करता है और इसी बीच लोनपुर में होती है अब तक की पहली हत्या । लोकल पुलिस शेखर की मदद लेती है केस को सॉल्व करने में । ऐसी ही दिलचस्प कहानियों की श्रृंखला शुरू होती है । विज्ञान की शाखा फोरेंसिक साइंस की मदद से शेखर केसों को सॉल्व करता है। इसमें आंटी का नया किरायेदार उसकी मदद करता है ।
पटकथा – सीरीज की पटकथा को एक हद तक प्रभावी कहा जा सकता है । शुरू के एक दो एपिसोड का स्क्रीनप्ले थोड़ा सा कमजोर है । इसको और कसा जा सकता था । इसके बाद का स्क्रीनप्ले काफ़ी अच्छा है और दर्शकों को बांधे रखेगा । इस सीरीज को जिस तरह से बनाया गया है । वो वाकई अच्छा है। शेखर केस सुलझाने के लिए जिस तरह से विज्ञान का सहारा लेता है उससे हर एपिसोड को देखने में मज़ा आएगा । एक जगह केस को सॉल्व करते समय एक क्लू को ऐसे दिखाया गया है की उसको कोई भी देख सकता है । लेकिन जैसे ही दर्शक इस बात को पकड़ने लगते है एक अलग तरह का राज खुल जाता है । क्राइम ,डिटेक्टिव सीरीज को रोचक बनाने के लिए अंत तक कहानी की परतें खुलती रहनी चाहिए ।इससे दर्शकों को अगले पल क्या होगा इस बात को जानने की ललक बनी रहती है । वो इसमें होता दिखाई दिया है । ताम झाम किए बिना भी अच्छी पटकथा लिखी जा सकती है । फोरेंसिक साइंस का जिस तरह से प्रयोग किया गया है वो इस सीरीज को रोचक और ज्ञानवर्धक बनाता है ।
अभिनय – इस सीरीज का एक और मुख बिंदु है वो है अभिनय । इस सीरीज में शेखर होम्स की भूमिका निभा रहें है के के मेनन । के के ने शानदार काम किया है । के के ने शेखर होम्स का जो किरदार पकड़ा है । वो बहुत प्रभावी है और यह दिखाता है की के के मेनन को शानदार अभिनेता क्यों कहा जाता है । इसमें एक और अच्छे अभिनेता ने काम किया है वो है रणवीर शौरी । बाक़ी कलाकारों ने अच्छा काम किया है । इसमें रसिका दुग्गल ने भी भूमिका निभाई है । वो भी इसमें अच्छी लगी हैं ।
निर्देशन – रोहन सिप्पी और श्रीजीत मुखर्जी द्वारा इस सीरीज को निर्देशित किया गया है । इनके द्वारा बहुत अच्छा काम किया गया है । सब से पहले बात करना चाहूंगा शूटिंग स्थल की , आंटी का जो कैफ़े है वो काफ़ी अच्छा और उसको देख कर लगता है की यहाँ अगर बैठने को मिले तो काफ़ी सुकून मिलेगा । जहां पर वो कैफे बनाया गया है वो पूरी जगह को देख कर एक पॉज़िटिव फीलिंग का अनुभव होता है । अब ऐसा कितने दर्शकों को लगेगा वो उनके ऊपर है । अगर थोड़ा काम पहले और दूसरे एपिसोड पर कर लिया जाता तो शायद शुरू से प्रभाव बन जाता जो तीसरे एपिसोड के बाद बनना शुरू हुआ ।
लेखक – अनिरुद्ध गुहा और निहारिका पुरी ने इसकी पटकथा और संवाद लिखे है । एक बात गौर करने वाली है कि जब भी शेखर होम्स किसी केस के चलते बात करता है वो रासायनिक कंपाउंड की बात करता है जो काफी रोचक लगती है ।
सीरीज क्यों देखें – इस सीरीज को देखते समय आपको नयेपन का अनुभव होगा, साथ ही पुरानी यादें भी ताज़ा हो जायेंगी । काफ़ी दिनों के बाद एक अच्छी बिना ताम झाम वाली ,के के मेनन की शानदार एक्टिंग के साथ ।