समय भास्कर नई दिल्ली। सर्वॉच न्यायलय ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव और बालकृष्ण की तरफ से दाखिल माफीनामे को खारिज कर दिया। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि ‘हम अंधे नहीं हैं.’ कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से कहा कि आप एक्शन के लिए तैयार रहें । आप लोग लगातार वकील बदल रहें है। इस बार वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी पतंजलि की तरफ से बहस कर रहे थे। बाबा रामदेव और और बालकृष्ण स्वयं उपस्थित थे। पिछली बार शीर्ष अदालत ने इन दोनों के न आने पर कड़ी फटकार लगाई थी। इस बार सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख देख कर लगता है की की कोई कड़ा फैसला आने वाला है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को भी फटकार लगते हुए 10- हज़ार का फाइन लगाया।

सुप्रीम कोर्ट की यह सख्त टिप्पणियां

जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि आप हलफनामे में धोखाधड़ी कर रहे हैं, इसको किसने तैयार किया है? मुझे तो आश्चर्य है। जस्टि कोहली ने कहा कि वैसे भी हम इस पर फैसला करेंगे, हम इसको जानबूझकर कोर्ट के आदेश की अवहेलना मान रहे हैं। इस हलफनामे को ठुकराते हैं, ये सिर्फ एक कागज का टुकड़ा है. हम अंधे नहीं हैं, हमें सब दिखता है।
इस पर मुकुल रोहतगी ने कहा कि लोगों से गलतियां हो जाती हैं तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गलती होती है तो सजा भी मिलती है. उन्हें भुगतना भी पड़ता है, उन्हें तकलीफ भी उठानी पड़ती है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ड्रग्स लाइसेंसिंग अधिकारियों को अभी सस्पेंड किया जाए। अदालत का मखौल बनाया जा रहा है। इनका कहना है कि विज्ञापन का उद्देश्य लोगों को आयुर्वेदिक दवाओं से जोड़े रखना है, मानो ये दुनिया में आयुर्वेदिक दवाएं लाने वाले पहले शख्स हों।

ड्रग्स विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर मिथिलेश कुमार को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि आपको शर्म आनी चाहिए, क्यों न आपके खिलाफ कार्रवाई हो। लोग मर जाएं आप बस वार्निंग देते रहें। आपने बहुत नौकरी कर कर ली। अब घर पर बैठिए।

जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि आप चाहते हैं कि हम एक आदमी को माफ कर दें। उन सभी लोगों का क्या जिन्होंने आपकी दवा खाई थी। उनके बारे में क्या जिनके बारे में कहा गया था कि ये बीमारी दूर कर देंगी, जबकि इनका इलाज ही नहीं हो सकता था।

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