संवाददाता/ मीरा-भाईंदर
पिछले 10 वर्षों से मधुमेह के कारण पीडित एक 41 वर्षीय महिला पर मेटोबोलिक सर्जरी की गई हैं। वॉक्हार्ट अस्पताल के मधुमेह और मेटाबोलिक सर्जरी विभाग के निदेशक डॉ. रमन गोयल के नेतृत्व में अन्य एक डॉक्टर की टीमने यह सर्जरी की हैं। मधुमेह के साथ-साथ मरीज उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल और थायराइड की समस्या से पीडित था। यह सर्जरी मधुमेह से जुड़ी जटिलताओं, जैसे मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी, मस्तिष्क स्ट्रोक, गुर्दे की बीमारी और हृदय और तंत्रिका समस्याओं के विकास की संभावना को काफी कम करता हैं। सर्जरी के बाद अब मरीज की सेहत में सुधार हो रहा हैं।
मीरारोड येथील कविता महेश इनका वजन 84.5 किलोग्राम था। उनको उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल और थायराइड के अलावा 10 वर्षों से अनियंत्रित मधुमेह था। इसके अतिरिक्त, उसके पिता को किडनी की समस्या है। नियमित रूप से दवा लेने के बावजूद उनका रक्त शर्करा स्तर अनियंत्रित रहता है। बिघडती सेहत को देखकर मरीज को नवंबर में वॉकहार्ट अस्पताल दाखिल किया गया।
डॉ रमेन गोयल, सलाहकार मधुमेह आणि मेटाबॉलिक सर्जन, वोक्हार्ट हॉस्पिटल्स मीरा रोड ने कहा, “मधुमेह मेलिटस का प्रसार तेजी से बढ़ रहा है, जिससे देश में बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हो रहे हैं। व्यापक जागरूकता अभियानों और जीवनशैली में संशोधन के बावजूद, मधुमेह से पीड़ित 77% से अधिक लोग अपनी स्थिति पर उचित नियंत्रण हासिल करने में विफल रहे हैं। परिणामस्वरूप, अनियंत्रित मधुमेह वाले मरीजों को हृदय संबंधी बिमारी और मस्तिष्क स्ट्रोक जैसी मैक्रोवास्कुलर जटिलताओं के साथ-साथ परिधीय न्यूरोपैथी और नेफ्रोपैथी जैसी माइक्रोवास्कुलर जटिलताओं के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में मधुमेह से संबंधित प्रत्यक्ष कारणों से लाखों लोगों की जान चली जाती है। इसलिए, उच्च एचबीए१सी स्तर वाले मरीजों के लिए मधुमेह सर्जरी एक वरदान हो सकती है जो 2-3 महीनों के भीतर रक्त शर्करा स्तर को नियमित करने में मदद करती है।’’
डॉ. गोयल ने आगे कहॉं की, “मधुमेह सर्जरी एक लेप्रोस्कोपिक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रक्रिया है जो पेट और आंतों का मार्ग बदल देती है। भारत में, गैस्ट्रिक बाईपास और स्लीव गैस्ट्रेक्टोमी आमतौर पर मेटाबोलिक सर्जरी की जाती हैं। हालाँकि ये सर्जरी मूल रूप से वजन घटाने के लिए की गई थी, अब इन्हें 27.5 बीएमआई वाले उन रोगियों को पेश किया जा सकता है जिन्हें अनियंत्रित मधुमेह है। सर्जरी आंत के हार्मोन और आंत के बैक्टीरिया को बदलकर और भोजन का सेवन सीमित करके काम करती है, जिसके परिणामस्वरूप इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार होता है, इंसुलिन स्राव में वृद्धि होती है और बेहतर ग्लाइसेमिक नियंत्रण होता है। जीएलपी-1 नामक हार्मोन इंसुलिन प्रतिरोध को कम करता है और अग्न्याशय से इंसुलिन उत्पादन में वृद्धि को उत्तेजित करता है। सर्जरी ६ फरवरी को की गई थी, और मरीज को ९ फरवरी को छुट्टी दे दी गई थी। यह सर्जरी एक घंटा तक चली। सर्जरी के बाद 6-7 घंटों के भीत पानी पीने और चलने की अनुमति दी गई। सर्जरी के बाद एक सप्ताह बाद मरीज की मधुमेह की दवाएं बंद कर दी गई। उनका एचबी१सी स्तर पहले ही 10% कम हो गया है। मेटाबॉलिक सर्जरी के बाद रिकवरी की प्रक्रिया अपेक्षाकृत तेज है और सर्जरी के बाद पहले दो दिनों के भीतर रक्त शर्करा के स्तर में सुधार शुरू हो जाता है। ज्यादातर मामलों में, सर्जरी के बाद 2-7 दिनों के भीतर इंसुलिन का इंजेक्शन बंद किया जा सकता है।”