Cinema 70 MM Mumbai – ActAbhi –
ऋषिकेश मुखर्जी हिन्दी फ़िल्मों के महानतम परंतु सरल फ़िल्म निर्देशकों में से एक थे । उनका भारतीय सिनेमा जगत में विशिष्ठ योगदान रहा है ।
उन्होंने 1950 से लेकर 1980 तक के दशक में उनके द्वारा बनाई गई फिल्मों के लिए याद किया जाता है । फ़िल्में हो या उनके गाने सादगी और सरलता का अनोखा मिश्रण । चुपके चुपके में धर्मेंद्र से कॉमेडी करवाना हो ,आनंद में राजेश खन्ना और अमिताभ के किरदार हो या गोलमाल में विशुद्ध हास्य मनोरंजन ।
“ऋषिकेश मुखर्जी ने एक बार कहा था कि पर्दे पर किसी जटिल सीन के बजाय साधारण भाव को प्रदर्शित करना कहीं अधिक मुश्किल कार्य होता है इसलिए मैं इस तरह के विषय में अधिक रुचि रखता हूं। मैं अपनी फिल्मों में संदेश को मीठी चाशनी में पेश करता हूं लेकिन हमेशा इस बात का ध्यान रखता हूं कि इसकी मिठास कहीं कड़वी ना हो जाए।”
1998 में आई झूठ बोले कौवा काटे उनकी आखिरी फिल्म थी ।
प्रारंभिक जीवन —-
30 सितंबर 1922 को कोलकाता में जन्मे ऋषि दा ने विज्ञान विषय से अपनी पढ़ाई पूरी की और कोलकाता विश्वविद्यालय से रसायन शास्त्र में स्नातक करने के बाद कुछ समय के लिए अध्यापक के रूप में कार्य किया । इनके परिवार में उनकी तीन बेटियां और दो बेटे है ।
फिल्मी सफर की शुरुआत —
1940 के दशक के दौरान न्यू थियेटर में बतौर कैमरामैन फिल्म एडिटर का काम शुरू किया । इस दौरान उन्होंने उसे समय के प्रख्यात फिल्म एडिटर सुबोध मित्तर के साथ काम शुरू किताब। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1951 में बनी दो बीघा ज़मीन में विमल राय के सहायक के तौर पर की । दो बीघा जमीन के 6 साल बाद 1957 में बनी फ़िल्म मुसाफिर से अपने निर्देशक के रूप में करियर की शुरुआत की ।
फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फिल्म कोई खास कमाल नहीं दिखा पाई लेकिन राज कपूर उनके काम को कम को देखते हुए 1959 में अनाड़ी फिल्म उनके साथ बनाई ।
अनाड़ी फिल्म को फिल्म समीक्षकों ने काफी सराहा और बतौर निर्देशक के रूप में उनकी काफी सराहना होने लगी ।
उन्होंने इसके बाद उन्होंने अनुराधा, अनुपमा , आशीर्वाद , और सत्यकाम जैसी लीक से हट कर भी फिल्में बनाई ।
टीवी के लिए भी दिया योगदान
ऋषि दा ने टेलीविजन के लिए भी तलाश,हम हिंदुस्तानी, धूप छांव ,रिश्ते और उजाले की ओर जैसे धारावाहिक बनाएं।
बतौर सफल निर्देशक —-
1961 में प्रदर्शित फिल्म अनुराधा के लिए उनको राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान गया l 1950 से 1980 के बीच ऋषि दा की हल्की-फुल्की फिल्में काफी चर्चा में रही थी। जिसमें उम्दा गाने,अच्छा अभिनय,अच्छा निर्देशन अच्छी पटकथा होती थी।
फिल्म चुपके चुपके में धर्मेंद्र से कॉमेडी करवाना हो या आनंद में राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन का अभिनय हो । “
“बाबू मोशाय जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं ।
हिंदी सिनेमा की बेहतरीन फिल्में ऋषि दा के नाम —
इन्होंने अनुराधा, छाया ,असली नकली, अनुपमा, आशीर्वाद , गुड्डी, बावर्ची, नमक हराम, चुपके चुपके, गोलमाल और आनंद जैसी शानदार फिल्में बनाई । इन्होंने अमिताभ बच्चन को 1970 में आनंद फिल्म में बड़ा ब्रेक दिया ।इन्होंने जया भादुड़ी को फिल्म गुड्डी से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में मौका दिया ।
शानदार गानों के लिए भी किया जाता है याद –
अपनी फिल्मों में शानदार गानों के लिए ऋषि दा का कोई जोड़ नहीं था । फिल्म गुड्डी का हमको मन की शक्ति देना , अभिमान फिल्म का गीत “नदिया किनारे दिल ये पुकारे”, फिल्म अनाड़ी का गीत “सब कुछ सीखा हमने ना सीखी होशियारी” आनंद फिल्म का गीत “कहीं दूर जब दिन ढल जाए”। फिल्म नमक हराम का गीत “नदिया से दरिया दरिया से सागर, सागर से गहरा प्यार ”
वहीं अगर फिल्म “गोलमाल” का “गोलमाल है भाई सब गोलमाल है
और इसी फिल्म का “आने वाला पल जाने वाला ” है जैसे कई हिट गाने उन्होंने अपनी फ़िल्मो के माध्यम से दर्शकों को दिये ,जो आज भी संगीत प्रेमियों के पसंदीदा गानों में से एक है ।
समान —
मुखर्जी को भारतीय फिल्मों में अपने योगदान के लिए 2001 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
1999 में उनको दादा साहेब फाल्के अवार्ड और उन्होंने आठ बार फिल्म फेयर अवार्ड जीता ।
जीवन के अंतिम पल
उनकी बीवी की उनकी बीवी का निधन 3 दशक पहले ही हो गया था इशिता को जानवरों से बहुत लगाव था उनके बांद्रा स्थित घर में बहुत सारे कुत्ते और बिल्ली थे ऋषिकेश मुखर्जी की मौत 27 अगस्त 2006 को हुई थी बेचैनी महसूस होने के कारण उनका लीलावती हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था वह क्रॉनिक किडनी फेलियर से जूझ रहे थे और उन्हें डायलिसिस के लिए अस्पताल में भर्ती कराया था।
ऋषि दा के किससे —
देरी से आने पर कर दी थी शूटिंग कैंसल –
ऋषिकेश मुखर्जी लेटलतीफी पसंद नहीं थी । वो फ़िल्म के सेट पर लेट आने वाले लोगों को पसंद नहीं करते थे । इसलिए एक बार एक बड़े फिल्मी कलाकार के सेट पर लेट आने के कारण उन्होंने शूटिंग कैंसल कर दी । जब उस स्टार ने ले आने के बाद अपना मेकअप करवा लिया था । उसके बाद दादा ने शूट को कैंसिल कर दिया था ।
अमोल पालेकर की नहीं सुनी –
एक किस्सा अमोल पालेकर के साथ जुड़ा हुआ है । अमोल पालेकर ने एक फिल्म के लिए शॉट दिया था जो काफी अच्छा था और इसको दादा ने ओके कर दिया था लेकिन अमोल पालेकर को बतौर अभिनेता लगा की वो इससे अच्छा शोर्ट दे सकते है । उन्होंने ऋषि को कहा की दादा एक शोर्ट और लेते हैं ।ऋषि दा ने कहा की शोर्ट अच्छा है पर मुखर्जी के मना करने पर भी जब अमोल अड़े रहे तो ऋषि दा ने दोबारा शॉर्ट तो लिया लेकिन फाइनल फिल्म में पहले वाला ही शॉट ही रखा । इस तरह के थे निर्देशक जिनको पता था कि क्या सही है ।
आनंद के लिए राजेश खन्ना नहीं थे पहली पसंद —–
फिल्म आनंद के लिए पहली चॉइस राजेश कहना नहीं थे । मुखर्जी की पहली च्वाइस किशोर कुमार थे लेकिन किशोर कुमार ठहरे मनमौजी उन्होंने स्वयं फिल्म में काम करने से मना कर दिया । हुआ कुछ यूं था की फिल्म आनंद में ऋषिकेश दा पहले किशोर कुमार को लेने वाले थे पर उन्हीं दिनों किशोर कुमार का किसी बंगाली प्रोडूसर से विवाद हो गया और उन्हें उन्होंने गार्ड को निर्देश दिया कि कोई बंगाली मुझसे मिलने आए तो उसे भगा देना । इधर मुखर्जी जब किशोर कुमार के बंगले पर गये तो गार्ड ने उनको अन्दर नहीं जाने दिया । उस घटना के बाद ऋषि दा ने किशोर कुमार के साथ फिल्म करने का अपना इरादा छोड़ दिया ।
जब धर्मेंद्र ने रात भर किया फ़ोन —-
किस्सा फिल्म आनंद से जुड़ा हुआ है जिसमें ऋषिकेश मुखर्जी ने धर्मेंद्र की बजाय राजेश खन्ना को इस फिल्म के लीड रोल के लिए साइन कर लिया था। जबकि इसकी कहानी उन्होंने फ्लाइट में पहले धर्मेंद्र को सुनाई थी और कहानी सुनाने के बाद धर्मेंद्र को लगा की वो ही फ़िल्म करेंगे । लेकिन जब राजेश खन्ना को फिल्म में ले लिया गया तो वो इस बात से काफ़ी ग़ुस्सा हो गये थे और कहा जाता है कि इसके बाद बताया जाता है कि धर्मेंद्र ने खूब शराब पी और उस रात को ऋषि दा को फोन लगाया। धर्मेंद्र ने ऋषि एक ही सवाल किया आप मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं वहां से ऋषिकेश मुखर्जी कहते रहे कि सो जाओ धर्म हम सुबह बात करेंगे , लेकिन बताते हैं कि यह सिलसिला रात भर चलता रहा। ऋषिकेश मुखर्जी उसे रात ठीक से सो नहीं पाए।
फिल्म आनंद के समय फिल्म आनंद के समय राजेश खन्ना इंडस्ट्री के सुपरस्टार नहीं थे और अमिताभ बच्चन भी फ़िल्म इंडस्ट्रीज़ में अपनी जगह तलाश करने में लगे हुए थे । आनंद फिल्म में अमिताभ को बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड मिला ।