मुंबई।  अगर हम अपना जीवन रोशन मीनार बनाना चाहते हैं तो उसे बचपन से ही अच्छे विचारों के वातावरण से सिंचना होगा जो केवल सत्संग के द्वारा ही प्राप्त होते हैं।ये उद्गार निरंकारी प्रचारक श्री विजय मडगांवकर ने व्यक्त किए | संत निरंकारी सत्संग भवन, मलाड में रविवार, 16 अगस्त को आयोजित बाल संत समागम को सम्बोधित करने के लिए उन्हें चिपलून, जिला रत्नागिरी से विशेष रूप से बुलाया गया था। इस बाल संत समागम में अंधेरी से भायंदर तक के पश्चिम उपनगरों के बच्चों एवं उनके अभिभावकों समेत करीब 3000 श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज हमें अपना जीवन रोशन मीनार जैसा बनाने की दिव्य सिखलाई प्रदान कर रहे हैं। इस तरह का उज्ज्वल एवं श्रेष्ठ जीवन बनाने के लिए हमें बचपन से ही प्रयास करने होंगे । स्वामी विवेकानंद जी एवं साने गुरुजी जैसे विभूतियों का जीवन महान बनने में उनकी माताओं ने उन्हें जो सर्वोत्तम संस्कार दिए उसका महत्वपूर्ण हिस्सा है । निरंकारी मिशन द्वारा चलाये जा रहे बाल सत्संग के माध्यम से बच्चों को नेक, आज्ञाकारी, माता-पिता एवं गुरुजनों का सम्मान करने वाले बनने की प्रेरणा प्राप्त होती है। आज संसार में फैला हुआ वैर, ईर्ष्या, नफ़रत का जो वातावरण है उसे प्रेम एवं सौहार्दपूर्ण रूप में परिवर्तित करने के लिए बाल सत्संग महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। यहां प्राप्त होने वाली दिव्य सिखलाई नफ़रत की दीवारें गिराकर प्रेम के पुलों का निर्माण करती है | जिससे मानव एक दूसरे के करीब आ रहा है | इन दिव्य गुणों का फैलाव बढ़ते जाने से ही संसार में अमन चैन का वातावरण स्थापित हो पायेगा।

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