जन्म के बाद एक साल में हुई पांच सर्जरी
पंकज दुबे/मीरा-भाईंदर ।
एनोरेक्टल मालफॉर्मेशन नामक एक दुर्लभ जन्मजात विकृती से पीडित एक साल के बच्चे का मिरारोड के वॉक्हार्ट अस्पताल में सफलतापूर्वक इलाज किया गया हैं। इस बिमारी में बच्चे का गुदा खुलना बंद होता हैं। ऐसी स्थिती में जन्म के बाद बच्चे को एक साल में रेक्टल रिकंस्ट्रक्शन, कोलोस्टॉमी, कोलोस्टॉमी क्लोजर, हाइपोस्पेडिया और टंग टाई जैसी पाच विभिन्न सर्जरी से गुजरना पडा। वॉक्हार्ट अस्पताल के कंसल्टेंट पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. भावेश दोशी और नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. नीतू मुंदडा के नेतृत्व में अन्य एक डॉक्टर की टीम ने इस बच्चे पर सर्जरी की हैं।
मीरारोड में रहने वाले सलियन अपने पहले बच्चे के जन्म के बाद काफी खूष थे। लेकिन उनकी खुशी काफी देर टिक नही सकी। जन्म के बाद बच्चे को एनोरेक्टल मालफॉर्मेशन (एआरएम) नामक बिमारी का निदान हुआ। बच्चे को हाइपोस्पेडिया जैसी अन्य समस्याएं भी थीं, जिसका मतलब है कि लिंग मुड़ा हुआ था और मूत्र छिद्र का मुंह अपनी जगह पर नहीं था। बच्चे को तुरंत वॉक्हार्ट अस्पताल दाखिल किया गया। बच्चे को स्तनपान संभव नहीं होने के कारण पैंरेंट्रल पोषण शुरू किया गया।
मीरारोड के वॉक्हार्ट अस्पताल के कंसल्टेंट नियोनेटोलॉजिस्ट और लैक्टेशन एक्सपर्ट डॉ. नीतू मुंदडा ने कहॉं की, “एनोरेक्टल मालफॉर्मेशन एक दुर्लभ बिमारी हैं। दस लाख बच्चों में से एक बच्चा इस दोष के साथ पैदा होता है। अक्सर माता-पिता के लिए एक झटका होता है क्योंकि प्रसवपूर्व स्कैन में इसका निदान नहीं किया जा सकता है। जन्म के बाद हर बच्चे की वैद्यकीय जाचं करानी जाती हैं। ताकि समय रहते बिमारी का पता चले सके। इस बच्चे को वैद्यकीय जाचं में एनोरेक्टल मालफॉर्मेशन का पता चला। बच्चे का लिंग मुड़ा हुआ था, साथ ही मूत्रमार्ग की असामान्य स्थिति (हाइपोस्पेडिया) और जीभ बंधी हुई थी। जिससे स्तनपान में समस्या हो सकती है। ऐसी स्थिती में माता-पिता सलाह से बच्चे की कई सर्जरी की गईं।
मीरारोड वॉक्हार्ट हॉस्पिटल्स के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. भावेश दोशी ने कहा, “एनोरेक्टल विकृति का पूरा इलाज 3 सर्जिकल चरणों में किया गया था। जन्म के समय, कोलोस्टॉमी की गई थी। इस समस्या में हमें एक अस्थायी रास्ता बनाना पड़ता है। दो महीने की उम्र में ४ घंटे लंबी सर्जरी पोस्टीरियर सैजिटल एनो रेक्टोप्लास्टी (पीएसएआरपी) की गई, जहां सामान्य स्थिति में नया गुदा बनाया गया। दूसरी सर्जरी के दो महीने बाद, बच्चे की एआरएम, कोलोस्टॉमी क्लोजर के लिए अंतिम सर्जरी की गई। सर्जरी के दौरान, पेट की दीवार में जो छेद बनाया गया था। सर्जरी ३ घंटे चली। सर्जरी के बाद अब बच्चे की सेहत में सुधार हो रहा हैं।”
डॉ. भावेश ने कहॉं की, बच्चे के जन्म के बाद लड़के के लिंग के मुड़े हुए हिस्से को ठीक करने और मूत्रमार्ग को सामान्य स्थिति में लाने के लिए फिर से बड़ी सर्जरी की गई। ३ घंटे की सर्जरी के बाद बच्चे ने सामान्य रूप से पेशाब किया। अब बच्चा एक साल का हो गया है। एक साल की उम्र तक बच्चे की 5 सर्जरी हुईं। डॉ.नीतू मूंदड़ा ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यदि सही समय पर उसका इलाज नहीं किया जाता तो बच्चे का विकास ठिक से नही हो पता। बच्चे के माता-पिता ने कहॉं की, “हमारे बच्चे को नई जिंदगी देने के लिए हम डॉक्टर के आभारी हैं। हमारा बच्चा अब काफी ठिक हैं।”