Cinema 70mm – Review By ActAbhi – 3.5/5 –
जब दुनिया आपके उस एक सपने के लिए आपको पागल या सरफिरा बुलाने लगे और आप का मज़ाक उड़ाने लगे।  तो एक बात तो पक्की है कि ऐसे सरफिरे कुछ कर गुजरते है और दुनिया को झुका कर ही दम लेते है।  या कहें कि  दुनिया आखिरकार झुक ही जाती है झुकाने वाला चाहिए । वो गाना याद है ना समझ गये ।

आज कल बॉलीवुड की हालत पतली चल रही  है।  इसके चलते करोडो का चूना लग रहा है।  अक्षय कुमार के लिए अभी तक 2024 अच्छा नहीं रहा है।  अक्षय की पिछली फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर पानी तक नहीं माँगा। ख़बरें यहाँ तक है कि  इसके चलते बॉलीवुड के जाने माने निर्माता का  ऑफिस तक बिकने वाला है । लेकिन समय एक सा नहीं रहता है। जब इंसान कुछ करने की ठान लेता है और किसी की ना सुने  तब ऐसे सिरफिरों को दुनिया बदलने की ताकत भगवान दे दी देता है । अक्षय कुमार की फिल्म सरफिरा आ चुकी है और एक बात तो तय है कि यह फिल्म अक्षय के करियर की अहम  फिल्म साबित होगी।एक अभिनेता के तौर पर । बात करें फिल्म सरफिरा की । यह फिल्म 2020 में आई अभिनेता सूर्या के तमिल फिल्म सोरारई पोटरु का हिन्दी  रीमेक । यह फिल्म जी.आर. गोपीनाथ की किताब सिम्पली फ्लाई: ए डेक्कन ओडिसी पर आधारित है।  सरफिरा एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो कम आय वाले लोगों के लिए सस्ती एयरलाइन शुरू करने का लक्ष्य रखता है । इसके चलते उसको कई परेशानियों से गुजरना पड़ता है  ।

कहानी – कहानी तीन दोस्तों की हैं जो सस्ती एयर लाइन शुरू करने के लिए भारतीय एयर फोर्स की नौकरी छोड़ देते है। इस कारण वीर महात्रे और उसके दोस्तों पर लोग हँसते है । उसके सस्ती एयरलाइन शुरू करने का दुनिया मज़ाक बनती है । कई रुकावट आती है लेकिन वो हार नहीं मानता है। वीर महात्रे का अपने पिता से झगड़ा हो जाता है।  क्योंकि वो अपने गाँव में ट्रैन को रुकवाने के लिए ट्रैन की पटरी पर आंदोलन करता है। इस बात से उसके पिता नाराज़ हो जाते हैं।  वीर घर छोड़ कर चला जाता है। इसके बाद घर वालों को पता चलता है कि वीर एयर फाॅर्स में भर्ती हो गया है। एक दिन वीर की माँ का फ़ोन आता है कि उसके पिता की तबियत बहुत खराब है और वो वीर को  याद कर रहे है।  वीर घर के लिए निकलता है। उन दिनों हवाई किराया बहुत ज्यादा हुआ करता था और आम आदमी की पहुंच के बाहर था ।
 वीर के साथ भी ऐसा होता है जब वो एयरपोर्ट पहुँचता है तो महँगी हवाई टिकट खरीद नहीं पाता है। मगर जब तक, जैसे तैसे वो अपने घर पहुंचता है। तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।उसके पिता की मृत्यु हो जाती है।इसके बाद वो अपने दोस्तों के साथ एयर. फाॅर्स की नौकरी छोड़ कर आम आदमी के लिए सस्ती एयर लाइन शुरू करने के सपने में लग जाता है। तमाम कोशिशों के बाद भी कोई सफलता हासिल नहीं होती है । उसके सपने पर कोई भरोसा नहीं करता है। एविएशन इंडस्ट्री के दिग्गज परेश गोस्वामी वीर के रोल मॉडल है। वीर परेश से मिलने के तमाम प्रयास करता है लेकिन सफल नहीं हो पाता है । आखिर जैसे तैसे बिज़नेस क्लास की महँगी टिकट लेकर फिलाइट में परेश गोस्वामी से मिलाकर अपना आईडिया बताता है। लेकिन बात नहीं बनती है।  गुस्से में परेश फ्लाइट को वापस मुंबई लैंड करने के लिए बोलता देता है ।
उसी  फ्लाइट में वीर को एक ऐसा आदमी मिलता है जिससे मिलने का वीर बहुत दिनों से प्रयास करता है। उसके बाद वीर को अपना आईडिया बोर्ड के सदस्यों को सुनाने को मिलता  है।  सारे लोग वीर का आईडिया सुन कर इन्वेस्ट करने को  तैयार हो जाते है।  लेकिन कहानी में अचानक एक ऐसा मोड़ आता है कि वीर का सारा सपना बिखर जाता है।  इसी बीच वीर की शादी रानी से हो जाती है जो वीर की ही तरह अपना बेकरी का बिज़नेस शुरू करना चाहती है। लेकिनवीर हार नहीं मानता है ।  आखिर में वीर अपने सपने तक पहुंच पाता है या नहीं।  इसके लिए तो आपको फिल्म देखने पड़ेगी।
पटकथा – फिल्म के स्क्रीनप्ले की बात करे फिल्म का स्क्रीनप्ले शानदार है।  जैसे ही फिल्म शुरू होती है। आपको हर पर कुछ नया देखने को मिलेगा और दर्शक फिल्म देखते देखते फ़िल्म की कहानी के साथ  जुड़ते चले जायेंगे।  हर मोड़ पर जब वीर असफल होता  है । उसी समय कुछ ऐसा होता है मानो दर्शक ही कहानी में किरदार निभा रहें है । फ़िल्म देखते समय लगने लगता है जिसे वीर की कहानी हमारी अपनी कहानी हो और उसका सपना किसी और का नहीं अपना ही सपना हो ।कहानी सच्ची घटना पर आधारित है । कहानी जोश से भरी हुई है ।कहानी को सटीक सिनेमाई अंदाज में पेश किया गया है । कुल मिला कर सारे उतार चढ़ाव के साथ फिल्म अपनी बात,अपना इमोशन दर्शकों तक पहुंचाने में सफल रही है।
अभिनय – फिल्म के कलाकारों के अभिनय की बात करें तो सभी ने शानदार काम किया है।  अक्षय कुमार ने वीर के किरदार के साथ पूरा न्याय किया है। फिल्म में अक्षय के काफी इमोशनल सीन्स है और एक अभिनेता के तौर पर उन सीन्स को करने में अक्षय ने  कोई कसर नहीं छोड़ी है।  कुछ लोग अक्षय कुमार को अच्छा एक्टर नहीं मानते। इस फिल्म के जरिये अक्षय ने अपने आलोचकों को एक जवाब दिया है कि वो एक्शन ,कॉमेडी के ही नहीं इमोशन के भी खिलाड़ी है । परेश रावल ने हमेशा की तरह अच्छा काम किया है जिसके लिए वो जाने जाते हैं।  बात करें एक और शानदार एक्टर की वो हैं फिल्म में अक्षय  कुमार की माँ का किरदार निभाने वाली सीमा बिस्वास की। सीमा बिस्वास एक शानदार एक्टर इस बात में कोई शक नहीं है । उन्होंने फिल्म में बेहतरीन काम किया है।  पिता की मौत के बाद जब वीर घर आता है तो सीमा विस्वास और अक्षय कुमार के बीच का सीन आपको भावुक कर देगा। राधिका मदान भी शानदार अभिनय करने की दौड़ में पीछे नहीं रही है।अपने किरदार रानी  के लिए उनकी मेहनत साफ़ दिखाई दे रही है ।  बाकी सभी सह कलाकार अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहें है।  अभिनय के मैदान पर सारे कलाकारों ने बाजी मारी है ।

निर्देशन – बात निर्देशन की करें तो फिल्म का निर्देशन सुधा कोंगरा ने किया है। फिल्म के तमिल वर्जन का भी निर्देशन सुधा ने ही किया है। सुधा ने शानदार काम किया है।  हिंदी में बनी फिल्म अपने तमिल वर्जन से काफी अच्छी है। सुधा ने शालिनी उषादेवी के साथ फिल्म का  स्क्रीनप्ले भी लिखा है।  इस लिहाज़ से फिल्म का निर्देशन कहानी की मांग के अनुसार सटीक किया गया है।  जहाँ जितनी जरुरत है उसी जरुरत के हिसाब से काम किया है।  फिल्म के संवाद पूजा  तोलानी ने लिखे हैं।  संवाद बीच बीच में जोश भर देते है।

संगीत – फिल्म में कुल सात गाने है और यहाँ पर फिल्म कुछ खास नहीं कर पाती है। फिल्म का  अंतिम गाना फिल्म के साथ चलता दिखाई देता है। बाकी गाने किसी काम के नहीं है। अक्षय कुमार है तो गाने डाल दो।  बाकी, गाने के मोर्चे पर फिल्म फिसड्डी साबित हुई है।

फिल्म क्यों देखें – पहले तो एक सिरफिरा ऐसी फिल्म है जो आपको ऐसे रियल लाइफ हीरो की  कहानी आप तक पहुँचती है । जिसने अपनी परवाह किये बिना आम लोगो की ज़िंदगी बदलने का सपना देखा ।  एक शानदार प्रेरणा देने वाली कहानी, जो आपको कुछ न कुछ सीखा कर जाएगी। बेहतरीन अभिनय। इसके साथ अगर आप अक्षय कुमार के फैन है और उनकी शानदार परफॉरमेंस देखना चाहते  है। यह फिल्म आपको पसंद आएगी।
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