संवाददाता/ मीरा भायंदर । मीराभाईंदर विधानसभा क्षेत्र (145) से निर्दलीय उम्मीदवार गीता जैन इस बार चुनावी मैदान में कड़ी चुनौती का सामना कर रही हैं। जनता के बीच बढ़ता असंतोष और उनके खिलाफ बन रहा माहौल उनकी जीत की राह में बड़ा रोड़ा बन सकता है।

जनता की नाराज़गी के मुख्य कारण

1. स्थानीय मुद्दों की अनदेखी:

क्षेत्र में जल आपूर्ति, खराब सड़कें और अन्य कई स्थानीय समस्याओं पर ध्यान न देने को लेकर जनता में गुस्सा है। लोगों का कहना है कि पिछले कार्यकाल में गीता जैन ने इन समस्याओं का समाधान करने के वादे किए थे, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं दिखा।

2. विरोधियों का मजबूत प्रचार:

गीता जैन के विरोधी उम्मीदवार इन मुद्दों को भुनाते हुए अपने प्रचार में उनकी नाकामियों को उजागर कर रहे हैं। जनता के बीच यह संदेश फैलाया जा रहा है कि गीता जैन का कार्यकाल वादों से भरा, लेकिन प्रदर्शन से खाली रहा।

3. स्वार्थ की राजनीति का आरोप:

कई स्थानीय निवासियों का मानना है कि गीता जैन ने केवल निजी स्वार्थ और सत्ता में बने रहने के लिए काम किया, न कि जनता के हित में।

चुनावी समीकरण

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर गीता जैन जनता का भरोसा दोबारा जीतने में सफल नहीं हुईं, तो उनके लिए इस बार का चुनाव जीतना बेहद मुश्किल होगा। मीराभाईंदर क्षेत्र में तेजी से बदलते समीकरण और उनके खिलाफ बढ़ती नाराजगी उनके चुनावी अभियान पर भारी पड़ सकती है।

गीता जैन का पक्ष

इस पूरे घटनाक्रम पर गीता जैन ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा, “जनता के लिए मैंने हमेशा काम किया है। यह विरोध मेरे खिलाफ चलाए जा रहे प्रोपेगेंडा का हिस्सा है। मैं क्षेत्र की सेवा के लिए पूरी तरह समर्पित हूं।”

हालांकि, जनता का मूड बदल पाना उनके लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। आने वाले चुनावी नतीजे ही यह तय करेंगे कि गीता जैन जनता के भरोसे पर खरा उतरने में कामयाब होंगी या नहीं।

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