Review by Actabhi ———- Rating 3*/5
लव सेक्स और धोखा 2 ऐसी सच्चाई को हमारे सामने लाती जो हम सबके सामने हैं पर हम उसके काले पक्ष को देख नहीं पाते या जानबूझ कर मानने का साहस नहीं कर पाते।तीन अलग कहानियाँ जो आपस में एक दूसरे से जुडी हुई , डिजिटल दुनिया की काली सच्चाई को दर्शाती, इमोशन, ड्रामा और उत्तेजना से भरपूर , सोचने को मजूर कराती । डिजिटल दुनिया के दौर में लाइक्स कमेंट और शेयर के चक्कर में एक इंसान की निजी जिंदगी में कैसे बर्बाद होती है।
कहानी – नूर (परितोष तिवारी), कुल्लू (बोनिता राजपुरोहित), और शुभम उर्फ गेम पापी (अभिनव सिंह) की कहानियां बताती है की आज के इस डिजिटल युग में कैसे लाइक कमेंट और फॉलोअर बढ़ाने के चक्कर से जिंदगी का सुकून मर जाता है। एक इंसान का जीवन इस डिजिटल दुनिया की कठपुतली बन कर रहा जाता हैं। नूर एक काल्पनिक रियलिटी शो ट्रुथ और नाच में भाग लेती है। जहाँ उसको हमेशा ऑनलाइन रहना है और इसके चलते शो की फॉलोइंग यानी कितने लोग इस समय ऑनलाइन देख रहे हैं। जनता के वोट से रेटिंग तय होती है की कौन फेमस है। इसी के चक्कर में नूर अपनी निजी जिंदगी के साथ क्या क्या करती है।
दूसरी कहानी कुल्लू (बोनिता राजपुरोहित) की हैं की कैसे एक कंपनी समाज की भलाई का दिखावा करती है की वो लोग ट्रांसजेंडर लोगो को काम पर रखती है और जब उस कंपनी के कर्मचारी कुल्लू के साथ एक घटना हो जाती है तो कंपनी के लोग सिर्फ अपना फायदा देखते है। शुभम उर्फ गेम पापी (अभिनव सिंह) की तीसरी कहानी आज के गेमर की जिंदगी कैसे हिल जाती है और आम लोग उसके बारे में राय बनाने लगते है।
तीनो कहानियां काफी दिलचस्प हैं और आज के डिजिटल युग का सही तौर पर प्रतिनिधित्व करती प्रतीत होती हैं। एक इंसान की वजह से पूरे परिवार का क्या हाल होता है।आज की दुनिया की डिजिटल क्रांति डिजिटल बर्बादी तक ले जा रही है। फिल्म का कॉन्सेप्ट दर्शकों को पसंद आएगा।
निर्देशन – दिबाकर बनर्जी अपने निर्देशन के साथ न्याय करने में सफल रहे हैं। कहानी के चुनाव से लेकर उनके फिल्माने की कला से इस बार भी दर्शक प्रभवित अवशय होंगे। कुल मिलाकर बनर्जी ने यह साबित किया है की वो एक शानदार स्टोरी टेलर हैं। फिल्म में इसकी झलक साफ़ दिखाई देती है।
आनंद बंसल और रिजु दास की सिनेमैटोग्राफी, और नमन अरोड़ा का संपादन फिल्म को दिलचस्प बनाने में सहायक हुआ हैं।
अभिनय– इस फिल्म को नए कलाकारों के साथ बनाया गया है। सभी कलाकारों ने शानदार अभिनय किया है। जो प्रभावित करता हैं। अभिनय की बात करे तो परितोष तिवारी (नूर) ने शानदार अभिनय का परिचय दिया है। उन्होंने जिस नूर का किरदार निभाया है ,उसके लिए बतौर अभिनेता एक बहुत बड़ी चुनौती है ।इस तरह के किरदार की मांग और इसके क्राफ्ट को सही तरह से निभा पाएं। इस तरह के किरदार को निभाने के लिए दम चाहिए। इसमें परितोष तिवारी ने अपने आप को बतौर अभिनेता साबित किया है।बोनिता राजपुरोहित ने कुल्लू के किरदार में शानदार काम किया है। उनके इमोशनल सीन आपको उनके किरदार से जुड़ने पर मजबूर कर देते है। अभिनव सिंह ने गेम पापी के किरदार को अच्छे तरह निभाया है। अपने किरदार से प्रभावित करने में सफल रहें है। फिल्म में उर्फी जावेद, अनु सरदार मलिक, सोफी चौधरी, मौनी रॉय और तुषार कपूर ने भी कैमियो किया है।
संगीत – फिल्म के संगीत की बात करे तो काफी आकर्षक है। टोनी कक्कड़, वायु और मीत ब्रदर्स का आम काफी प्रभावित करता है। फिल्म के गाने ट्रेंड कर रहें है।
फिल्म की बात करें तो फिल्म की कहानियों का ट्रीटमेंट अच्छा है। उत्तेजक प्रस्तुतिकरण कहानी को सनसनीखेज बनता हैं , परन्तु फिल्म देखते समय भ्रमित करने वाला और तीनों खंड अव्यवस्थित से प्रतीत होते है। फिल्म देखते समय दर्शक जैसे ही कहानी से जुड़ते हैं तभी कहानी बिखरने लगती है। दिबाकर एक अच्छे कहानी कहने वाले निर्देशक हैं लेकिन फिल्म बीच बीच में थोड़ा बिखर जाती है। इसके बाबजूद फिल्म को अच्छे से बनाया गया है। और फिल्म को देखकर आप बोर नहीं होंगे। एलएसडी 2 हमारे डिजिटल जीवन के अंधेरे पक्ष की कहानी कहने में काफी हद तक सफल होती प्रतीत होती है। थोड़ा सा हट के फिल्म देखना पसंद करते हैं तो इस फिल्म को देखना बनता हैं।