सिनेमा 70mm । अक्सर सुना जाता है कि सिनेमा हमारे समाज का आईना होता है। इस आईने को जब भी हम देखते हैं तो हकीकत से सामना हो ही जाता हैं। और कभी कभी ऐसी फ़िल्में आती है जो बहुत कुछ कह कर चली जाती है। सोचने को मजबूर कर जाती हैं और यह अहसास करा जाती है कि जिंदगी जीने का नाम है।

ऐसी ही के फिल्म आई थी जिसको नितेश तिवारी ने बनाया था। नितेश भारतीय सिनेमा के दमदार निर्देशकों में से एक हैं। उनकी फिल्मों की बात करें तो “दंगल”, “छिछोरे”, “चिल्लर पार्टी” और “भूतनाथ रिटर्न्स जैसी फिल्मों ने दर्शकों के दिलों को छुआ है और उनके हुनर को सराहा है। नितेश तिवारी की फ़िल्मों में ऐसे संदेश होते हैं जो हर किसी को प्रभावित करते हैं और वह हमेशा अपनी कहानियों से लोगों को प्रभावित करने में कामयाब होते हैं।

ऐसी ही एक फिल्म आई थी छिछोरे जिसमे सुशांत सिंह राजपूत ने अभिनय किया था। साजिद नाडियाडवाला इस फिल्म के निर्माता थे। यह फिल्म हमको सोचने पर मजबूर कर देती है। नितेश तिवारी की फिल्म “छिछोरे” छात्रों के लिए एक बड़ी प्रेरणा है। फिल्म मेकर्स ने फिल्म में महत्वपूर्ण मुद्दों और संदेशों को उठाया है जो सभी के लिए प्रासंगिक हैं।

ए, नितेश तिवारी की फिल्म छिछोरे से पांच महत्वपूर्ण बातें, आपको अपने जीवन में हमेशा याद रखनी चाहिए –

1) कोई भी लूजर नहीं है – हराने से कोई छोटा नहीं होता

जिंदगी के हर मोड़ पर कभी सफलता यही तो कभी असफलता। समाज में ज्यादातर लोग सफलता को ही सलाम करते हैं लेकिन कोई भी चीज़ कभी टिकती नहीं है। असफलता आने से कोई हारा हुआ नहीं हो जाता हैं। लाइफ में हमें कोशिश करते रहना और पॉजिटिव बने रहना बहुत ज़रूरी है। अगर हम ऐसा करते रहेंगे, तो हम आखिरकार सफल होंगे और सबको दिखाएंगे कि कोई भी लूजर नहीं होता। अगर कुछ भी हो जाए या कोई घटना घट जाए, तो उस पर दुखी होने की जरूरत नहीं है।

2) अपने अंदर के बच्चे को जिंदा रखें –
जब बच्चे होते हैं तब लगता है की जल्दी बड़े हों जाये लेकिन तब पता ही नहीं होता है की बचपन की जिंगदी ही असली जिंदगी का हिस्सा होती है। जब बड़े होते है तो हमारे अंदर का वो बचपना कहीं मर सा जाता हैं। अगर जीवन में आपके अंदर के बच्चे को ज़िंदा रखना होगा चाहे कुछ भी हो जाये।

3) दोस्तों के साथ सच्चे बनें रहें- हमारे जीवन में परिवार के बाद अगर किसी की सवसे ज्यादा अहमियत होती है वो होते हैं दोस्त। हमें अपने दोस्तों के साथ रहना चाहिए चाहे कुछ भी हो जाए और उनके साथ ईमानदार रहना चाहिए क्योंकि वे बहुत कीमती हैं।

4) यात्रा का आनंद लेना है जरुरी – जीवन यात्रा है, और नितेश तिवारी ने “छिछोरे” में इसे बखूबी दिखाया है। जीवन को उत्साह के साथ अपनाएं और जो कुछ भी करें उसमें अपना बेस्ट दें। सफलता और असफलता हमारी कोशिशों का सिर्फ एक छोटा परिणाम है, जो जीवन का एक हिस्सा है। उन्हें खुद पर हावी न होने दें। भले ही आप असफल हो जाएं, अगर आपने अपना बेस्ट किया है, तो आपको पछताने की कोई जरूरत नहीं है।

5) चाहे कुछ हो आत्महत्या नहीं है कोई रास्ता – इस फिल्म में सबसे बड़ी बात हमको सीखने को मिलती है वो है चाहे जो हो जाये कोई भी चुनौती का सामना करना पड़े। चाहे वह असफलता हो, रिश्तों की समस्या हो या पेशेवर असफलता – आत्महत्या कभी भी समाधान नहीं है। जिन लोगों की आप परवाह करते हैं, उनसे बात करना जरूरी है। चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, हमें कभी भी अपने जिंदगी को खत्म करने के बारे में नहीं सोचना चाहिए। जीवन मूल्यवान है, इसलिए अपने परिवार और दोस्तों के बारे में सोचें।

 

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