सिनेमा 70mm मुंबई। भारत को अपनी फिल्म के जरिये ऑस्कर दिलवाने वाली निर्माता गुनीत मोंगा कपूर ने अपनी आने वाली डॉक्यूमेंट्री “किकिंग बॉल्स” के लिए शी लीड्स इम्पैक्ट फंड के साथ हाथ मिलाया है। आने वाली डॉक्यूमेंट्री “किकिंग बॉल्स”भारत में बाल विवाह के इतिहास को दिखती है। सिख्या एंटरटेनमेंट और विनियार्ड फिल्म की लेटेस्ट डॉक्यूमेंट्री “किकिंग बॉल्स” में, प्रसिद्ध निर्माता, अश्विनी यार्डी, गुनीत मोंगा कपूर और अचिन जैन इस फिल्म में बाल विवाह की समस्या को सामने ला रहें हैं।
यह डॉक्यूमेंट्री फिल्म राजस्थान के 3 गांवों की पड़ताल करती है जहां एक NGO फुटबॉल के माध्यम से बाल विवाह से निपट रहा है। “किकिंग बॉल्स” इन साहसी लड़कियों की आवाज़ को बुलंद करती है और स्वतंत्रता पाने की कहानी को दर्शाती है।
“किकिंग बॉल्स” की एक विशेष स्क्रीनिंग हाल ही में राजधानी दिल्ली क्षेत्र में आयोजित की गई थी, जिसने प्रभावशाली निवेशकों को आकर्षित किया और 2030 तक बाल विवाह को खत्म करने के लिए मज़बूत राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय नीतियों की तत्काल आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित किया। शी लीड्स इम्पैक्ट फंड, वाइनयार्ड के बीच यह साझेदारी फिल्म्स और सिख्या एंटरटेनमेंट बाल विवाह को समाप्त करने और ग्रामीण घरों में विवाहित लड़कियों का समर्थन करने के लिए समर्पित है। इस साझेदारी का उद्देश्य सामाजिक परिवर्तन लाने और कम उम्र में विवाह के चक्र में फंसी युवा लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए कहानी कहने की शक्ति, अनुदान निधि, कॉर्पोरेट भागीदारी और प्रौद्योगिकी का उपयोग करना है। बाल विवाह को समाप्त करने और प्रभावित लड़कियों को सशक्त बनाने के मिशन का समर्थन करने के लिए, शी लीड्स इम्पैक्ट फंड बचपन में विवाहित महिलाओं के जीवन में परिवर्तनकारी बदलाव लाने के लिए 25,000 डॉलर की धनराशि प्रदान कर रहा है।
निर्देशक विजयेता कुमार ने कहा, “यह फिल्म मेरे दिल के बहुत करीब है क्योंकि मैं राजस्थान से हूं। किकिंग बॉल्स ग्रामीण राजस्थान की इन बहादुर युवा लड़कियों की कहानी है, जो फुटबॉल खेलकर और पढ़ाई के अपने अधिकार के लिए लड़कर जबरन बाल विवाह, गरीबी और जाति उत्पीड़न से बाहर निकलती हैं। निर्माता गुनीत मोंगा कपूर ने कहा, “हर साल, 12 मिलियन लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले कर दी जाती है। यानी हर मिनट 23 लड़कियां का विवाह हो रहा है। “किकिंग बॉल्स” एक ऐसा प्रोजेक्ट बन गया जिसके बारे में हम जानते थे कि यह सिर्फ एक फिल्म नहीं हो सकती, बल्कि इस पर एक चर्चा होनी चाहिए।