समय भास्कर मुंबई। प्राइम वीडियो सलीम जावेद पर एक डॉक्यूसीरीज़ ‘एंग्री यंग मेन’ के रिलीज़ की घोषणा की है। इस को 20 अगस्त को प्रीमियर किया जाएगा। तीन एपिसोड की यह सीरीज़ मशहूर राइटर सलीम खान और जावेद अख्तर की कहानी है, जिन्हें सलीम-जावेद के नाम से जाना जाता है। एंग्री यंग मेन को सलमान खान फिल्म्स, एक्सेल मीडिया एंड एंटरटेनमेंट और टाइगर बेबी द्वारा प्रोड्यूस किया गया है। इसके एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर्स में सलमा खान, सलमान खान, रितेश सिधवानी, फरहान अख्तर, जोया अख्तर और रीमा कागती हैं। इस सीरीज का डायरेक्शन नम्रता राव ने किया है, जो बतौर डायरेक्टर उनका पहला प्रोजेक्ट है।
एंग्री यंग मेन सलीम-जावेद की कहानी है, जो 1970 के दशक की कुछ सबसे बड़ी बॉलीवुड हिट फिल्म्स जैसे शोले, ज़ंजीर, दीवार, यादों की बारात, डॉन, और ऐसी ही कई हिट प्रोजेक्ट्स की स्क्रीन राइटिंग के लिए जानी जाने वाली है। साथ मिलकर, उन्होंने “एंग्री यंग मैन” का किरदार एक सीरियस एंटी हीरो जैसा बनाया था, जिसने अपने गुस्से, विद्रोह और न्याय के लिए लड़ाई से पूरे देश को अपना दीवाना बना लिया था। उनके अलग होने की खबरें सालों तक चर्चा में रहीं, और भारतीय सिनेमा में कभी भी इतनी मजबूत पार्टनरशिप नहीं देखी गई। ये डॉक्यूमेंट्री उनकी लाइफ, उनकी राइटिंग, और उनकी विरासत पर एक व्यक्तिगत और इमानदार नज़र डालती है। खुद सलीम-जावेद अपनी कहानी सुनाते हैं, साथ ही भारतीय सिनेमा के कुछ सबसे जाने माने लोगों द्वारा भी कुछ यादगार किस्से भी शेयर किए गए हैं।
सलमान खान ने आने वाली इस सीरीज़ के बारे में कहाँ कि दो समझदार, होशियार और प्रतिष्ठित व्यक्ति, दोनों ही अपने काम में बेस्ट हैं, जो एक-दूसरे के काम करने के तरीके और नेकी का गहरा सम्मान करते हैं – भारतीय सिनेमा के ‘एंग्री यंग मैन’। बड़े होते हुए, अपने पिता और जावेद साहब को फिल्मों में साथ काम करते देखना वाकई कमाल का था। सिनेमा के लिए उनके जुनून ने एक पूरी पीढ़ी के लिए हेरोइज्म के आईडिया को बदल दिया, जिससे क्लासिक फिल्मों की विरासत बनी। पर्सन तौर पर, मैं उन्हें भविष्य में फिर से साथ काम करते देखना पसंद करूंगा, और मुझे उम्मीद है कि फैंस और दर्शक भी ऐसा ही महसूस करेंगे। चाहे वह समय हो, नियति हो या पेशेवर विकल्प जो उन्हें फिर से साथ लाए, उनकी पार्टनरशिप हमेशा बेस्ट लेकर आती है।
जोया अख्तर ने कहा, “एंग्री यंग मेन” उन दो लोगों की कहानी है जिन्होंने 70 के दशक में हिंदी सिनेमा को परिभाषित करने वाला एक किरदार बनाया था। ये सलीम-जावेद के ज़बरदस्त सफ़र की कहानी है, जो छोटे शहरों से लेकर सिल्वर स्क्रीन पर छा गए, और कैसे उन्होंने अपनी मुश्किलें, दिल टूटने का दर्द, और अपना स्वैग अपनी फिल्मों में डाला।”
फरहान अख्तर ने कहा, “मुझे याद है कि मेरे पिता और सलीम अंकल को हर कोई सलीम-जावेद कहकर बुलाता था, जैसे कि वे एक ही व्यक्ति हों; उनके नाम का कभी अलग-अलग उल्लेख नहीं किया जाता था, बल्कि हमेशा एक साथ।