जमीनी हकीकत और जातियों का रुख भांपने में असफल रही भाजपा
अमित मिश्रा
नई दिल्ली। 18वीं लोकसभा चुनाव के गठन के लिए हुए आम चुनाव में 400 पार का सपना देखने वाली भाजपा पार्टी 239 सीटों पर सिमट गई। चुनाव के नतीजों ने भाजपा की हवा निकाल दी। एनडीए गठबंधन 291 सीटों के साथ केंद्र में तीसरी बार सरकार बनाने की स्थिति में है। अब बीजेपी की नैया नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के हाथों में है। इंडिया गठबंधन 234 सीटों के साथ बीजेपी का खेल बिगाड़ने में लगा हुआ है।उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल की कई सीटों पर ब्राह्मणों ने अपनी ताकत दिखाकर बीजेपी का खेल बिगाड़ दिया। वहीं पश्चिम की सीटों पर जाटों ने जीत का गणित गड़बड़ा दिया। ऐसा ही उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर हुआ। यूपी में कई जातियों का वोट इंडिया गठबंधन में पड़ता नजर आया। मुस्लिम,दलित और ओबीसी मतदाताओं के साथ से सपा ने 37 सीटें जीतकर उत्तर प्रदेश में तस्वीर बदल दी।भारतीय जनता पार्टी ओवर कॉन्फिडेंस में मारी गई। भाजपा को उत्तर प्रदेश में 33 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। यूपी में मुस्लिम मतदाताओं ने एकजुट होकर सपा,कांग्रेस को वोट किया। वही बसपा का दलित वोटर कांग्रेस के साथ नजर आया।
यूपी में भारतीय जनता पार्टी की कई सीटों पर हर का सबसे बड़ा कारण पार्टी कार्यकर्ताओं को तवज्जो ना देना तथा उनकी सुनवाई न करना रहा। कई सीटों पर मनमाने प्रत्याशी उतारना, बीजेपी की नीतियों से लोगों में नाराजगी, हिंदूवादी एजेंडा को सामने ना लाना।स्वयंसेवक संघ की नीतियों को लागू न करना,अधिकारियों की मनमानी,सरकारी विभागों,थानों में भ्रष्टाचार, पुलिस को खुली छूट देना, भाजपा के बड़े नेताओं की मनमानी,मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तानाशाही आदि मुद्दे हार का कारण बने। सीटिंग सांसदों की सीट काटना भी बीजेपी को भारी पड़ गया। इसके साथ ही क्षेत्रीय मुद्दे,स्थानीय नेतृत्व नतीजा पर हावी रहे। इस चुनाव में जनता ने गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी,जातिवाद के मुद्दे को तवज्जो दी।
लोकसभा चुनाव की तस्वीर ने बीजेपी के कई भरम तोड़ दिए। स्मृति ईरानी समेत भाजपा के 19 बड़े नेता हार गए। उत्तर प्रदेश,राजस्थान, महाराष्ट्र,पश्चिम बंगाल में भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ है,लेकिन मध्य प्रदेश,दिल्ली और उड़ीसा में बीजेपी को बड़ी सफलता हाथ लगी। इंडिया गठबंधन भाजपा को बहुमत से रोकने में सफल रहा। जमीनी हकीकत और जातियों का रुख भांपने में भाजपा असफल रही। अयोध्या में भी भाजपा का प्रत्याशी हार गया। एक तरफ राम मंदिर, हिंदुत्व था तो दूसरी तरफ संविधान,रोजगार,किसान और अग्निवीर सहित कई मुद्दे थे। इंडिया गठबंधन के घटक दलों ने चुनाव के दौरान आरक्षण,रोजगार,अन्य स्थानीय एवं जातीय और कई क्षेत्रीय मुद्दों को प्रमुखता से उठाया।
कांग्रेस ने इस चुनाव में देश की आम जनता के सामने संविधान बदलने, आरक्षण को खत्म करने सहित कई मुद्दों को उठाया। जिससे चुनाव के पहले,दूसरे और तीसरे चरण में बीजेपी का वोट बैंक खिसक गया और उसे भारी नुकसान हुआ। मुस्लिम मतदाताओं ने बीजेपी के खिलाफ रणनीति बनाकर एकजुट होकर इंडिया गठबंधन प्रत्याशियों के लिए वोट किया,जिससे भारतीय जनता पार्टी को देशभर में कई सीटों का नुकसान हुआ। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व हिंदुत्व की राह से भटककर सेकुलर की ओर चल पड़ा। वह युवा महिला पुरुष मुस्लिम मतदाताओं का भी वोट लेना चाहता था। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कोई स्पष्ट हिंदूवादी एजेंडा देश की जनता के सामने नहीं रखा,जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा। प्रधानमंत्री मोदी का पार्टी के बड़े नेताओं को साइड करना भी भारी पड़ गया। आगामी 5 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी की डगर आसान नहीं होगी। सरकार चलाने के लिए उन्हें हर हाल में दोनों पार्टी प्रमुखों को साधना होगा।अब तो वक्त ही बताया किसके साथ खेला होगा।
एनडीए गठबंधन में भाजपा को 239,जदयू 12, तेलुगू देशम पार्टी(टीडीपी ), 16 जनता दल (सेक्युलर) 2 ,लोजपा (रामविलास पासवान) 5, एनसीपी (अजीत पवार) 1 ,शिवसेना (एकनाथ शिंदे) 7 ,राष्ट्रीय लोक दल 2, रालोजपा 0,अपना दल एस 1, अन्य 4 सीटों के साथ एनडीए गठबंधन का आंकड़ा 291 रहा। इंडिया गठबंधन में कांग्रेस 100, समाजवादी पार्टी 37,तृणमूल कांग्रेस 29, शिवसेना उद्धव गुट 9, एनसीपी (शरद पवार) 7, आप 3, रजद 4, द्रमुक 22, झामुमो 3, आईयूएमएल 3 अन्य 19 सीटों के साथ इंडिया गठबंधन का आंकड़ा 234 रहा। वही बीजद 1,वाईएसआरसीपी 4 शिरोमणि अकाली दल एक बसपा 0 आरएलटीपी 1, एसकेएम 1, एमडीएमके 0,एआइएमआइएम 1 केरल कांग्रेस एक ,निर्दलीय 8 के साथ अन्य पार्टियों 18 सीटों पर रही।