सिनेमा 70 mm मुंबई। भारत के सिनेमा के इतिहास में कुछ फ़िल्में ऐसी होती है जो हमारे दिलों में घर कर जाती है और हमारी यादों का हिस्सा बन जाती है। आज एक ऐसी ही फिल्म के बारे में हम आपको बताने जा रहें है। यह वो फिल्म है जिसके साथ हम बड़े हुए जिसके साथ हम खेले जिसके साथ हमने लड़ना सीखा, इश्क़ करना और रिश्तों की अहमियत सीखी। यह फिल्म है क़यामत से क़यामत तक। इस फिल्म का नाम सुनकर ही हमारी जिंदगी के वो पुराने दिन, यादों के झरोखों से झाकने लागते हैं। कयामत से कयामत तक साल 1988 में रिलीज़ हुई, भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे पसंदीदा रोमांटिक फिल्मों में से एक रही है। इस फिल्म ने अपनी रिलीज़ के 36 वर्ष पूरे कर लिए है।
अभिनेता आमिर खान ने अपने करियर की शुरुआत इसी फिल्म से की थी। इस फिल्म में उनके साथ जूही चावला थी। दोनो की जोड़ी को दर्शकों ने खूब पसंद किया। इस फिल्म के बाद दोनों नए नवेले अभिनेताओं ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इस में दलीप ताहिल और अलोक नाथ ने भी मुख्य भूमिका निभाई थी।
मंसूर खान ने इस फिल्म को निर्देशित किया था।नासिर हुसैन इस फिल्म के निर्माता थे । इस फिल्म की कहानी दर्शकों के दिलों में घर कर गई तो एक और बड़ी वजह है इस फिल्म को याद रखने की वो है इसका शानदार संगीत। आनंद-मिलिंद ने इसका संगीत दिया था और मजरूह सुल्तानपुरी ने इसके गाने लिखे थे।
इस फिल्म के हर गाने की एक कहानी थी जिसमे “पापा कहते हैं”, “अकेले हैं तो क्या गम है” और “ऐ मेरे हमसफ़र” जैसे गीतों ने उस समय फिल्म संगीत की दुनिया में तहलका मचा दिया था। पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा इस गाने ने धूम मचा दी थी। इस गाने ने गायक उदित नारायण को फिल्म इंडस्ट्री में एक अलग पहिचान दी। इस फिल्म को बेस्ट पॉपुलर फिल्म का नेशनल फिल्म अवार्ड भी मिला ।