Cinema 70 mm । Review By ActAbhi- 3*/5* –
मशहूर निर्माता जो अपने काम के लिए ऑस्कर जीत चुकी हैं । वो ज़ी 5 पर लेकर आ रहीं हैं 11 11 क्राइम थ्रिलर सीरीज़ ।हम बात कर रहें है गुनीत मोंगा की ।करन जौहर भी इसमें को प्रोडूसर हैं।पहली नज़र में इस सीरीज़ की बात करें तो यह ठीक ठाक लगती है। उत्तराखंड पुलिस की टीम है जिसमें यंग पुलिस अफसर कृतिका कामरा, राघव जुयाल और धैर्य करवा शामिल हैं । यह टीम कई साल पुराने अनसुलझे केस को सुलझा रही हैं । हर एपिसोड में पुलिस एक नये केस को हल करती मिलेगी। इसमें टाइम मशीन के कांसेप्ट को दिखाया गया है। सीरीज़ की टैग लाइन है ” तीन पुलिसवाले समय के नियमों को धता बताते हुए बंद मामलों की एक श्रृंखला की जांच करते हैं और न्याय देते हैं। वे भ्रष्ट व्यवस्था के भीतर से काम करते हुए अपराधियों को सजा दिलाने के लिए कितनी दूर तक जा सकते हैं?
कहानी – कहानी 2016 की है जिसमें युग आर्य, इंस्पेक्टर , वामिका रावत , डीएसपी ,और शौर्य अंथवाल ,इंस्पेक्टर काफी पुराने एक केस पर काम कर रहें है और इस केस को लेकर पूरे पुलिस विभाग पर जनता और सरकार का काफी दवाब है। केस छोटी बच्ची की हत्या से जुड़ा हुआ है। इसी बीच प्रदेश सरकार एक नया कानून ला रही है जो कुछ समय में लागू होने वाला है। इस नए कानून से बहुत सारे पुराने केसों को बंद कर दिया जायेगा।छोटी बच्ची का केस भी इसी दायरे में आने वाला है। इस केस की इन्वेस्टीगेशन करते हुए इंस्पेक्टर युग आर्य के साथ पुलिस थाने में ऐसी घटना होती है जिससे उसको केस सॉल्व करने में काफी मदद मिलती है। युग को थाने में काफी पुराने वायरलेस सेट पर एक सन्देश आता है। जब युग यह बात बाकी पुलिस वालों को बताता है तो वो लोग उसका मज़ाक बनाते है। पुलिस वाले उसको बताते है कि यह वायरलेस सेट काफी पुराना है और ख़राब हो चुका है। इसी बीच इंपेक्टर युग आर्य वायरलेस सेट पर इंपेक्टर शौर्य अंथवाल के सन्देश के अनुसार बंद पड़ी मिल में पहुंच जाता है। इसके बाद पुलिस इस हत्या से जुडी कड़ियों को जोड़ती जाती और हत्यारे तक पहुंच जाती है।
इस केस की सफलता के बाद राज्य सरकार पुराने केसों को हल करने के लिए पुराने केसों को सॉल्व करने के लिए एक यूनिट बना देती है। इस यूनिट का काम है पुराने केसों पर काम कर उनको सोल्व करना। ओल्ड केस यूनिट को एक अनसुलझा केस मिलता है जिसमें किलर लाल कपडे और लाल लिपस्टिक लगा कर बाहर निकली लड़कियों और औरतों की हत्या करता है। इस केस में हत्यारा बहुत सारी हत्याएं कर चुका है। अब यह केस सन् 2016 में सुलझाने के लिए पुलिस टीम काम कर रही है। सारी कड़ियों को जोड़ती पुलिस हत्यारे तक पहुंच जाती। इसी तरह की कहानियों से बनी है। सीरीज़ 11 11।
स्क्रीनप्ले – क्राइम थ्रिलर सीरीज़ के हिसाब से थोड़ा कमजोर है । अंत तक सस्पेंस बनाये रखने में कामयाब नहीं होता है। इसमें टाइम मशीन के कॉन्सेपट को दिखाया गया है। सालों से अनसुलझे केस की जांच में,एक दिन काफी साल पुराना एक वायरलेस सेट अपने आप चालू हो जाता है। यह घटना केबल युग आर्य के साथ होती है। इस वायरलेस सेट से 2001 में उस समय एक केस पर काम कर रहे इंस्पेक्टर शौर्य अंथवाल से इंस्पेक्टर युग आर्य की सन् 2016 में बात होती ।यह वायरलेस सेट रात को 11 बजकर 11 मिनट पर केवल एक मिनट पर ऑन होता है। इस चीज़ को दर्शक पचा नहीं पाएंगे। टाइम मशीन के इस कॉनसेप्ट को एक अलग तरीक़े से दिखाने की कोशिश की गई है ।अगर लॉजिक की बात करें तो इसको पचाना थोड़ा मुश्किल होगा । बंद पड़े बायरलेस से पूर्व में उसी केस पर काम कर रहे इंपेक्टर शौर्य अंथवाल की आज के समय में उसकी केस पर काम कर रहे इंस्पेक्टर युग आर्य से की बात होती है । यहाँ पर और हर एपिसोड के अंत में स्क्रीन प्ले काफ़ी कमज़ोर सा हो जाता है । पहले केस की बात करें तो हत्यारे को जब पता चल जाता है की पुलिस ने उसको पहचान लिया है और कभी भी उसकी गिरफ्तारी हो सकती है । तो भागती नहीं है बल्कि वो पुलिस स्टेशन के सामने चल रहे प्रदर्शन पर आ जाती है । और पुलिस उसको आसानी से पकड़ लेती है ।
अभिनय – इसका प्रमुख अभिनेता इसका स्क्रीन प्ले है। अगर है तो। बाकी सभी ने ठीक ठाक काम किया है।
क्यों देखें – अगर आप पुलिस को कुछ ऐसे अंदाज़ में केस हल करते हुए देखना चाहते है जिसको देख कर आपको हसी आएगी, थोड़ा मज़ा आएगा थोड़ा आपका सर चकरायेगा। तो आप इसको देख सकते है ।