पंकज दूबे/ समय भास्कर
मीरा भायंदर में इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया की तरफ से की गई तमाम तैयारियों की पोल उस वक्त खुल गई जब फर्जी वोटों का मामला सामने आया और फर्जीवाड़ा हुआ तो भी एक वरिष्ठ पत्रकार के साथ। समय भास्कर के प्रतिनिधि जब वोट देने बूथ पर पहुंचे तो उनके नाम पर वोट पहले ही डाला जा चुका था। अधिकारीयों के पास इस लापरवाही का कोई जवाब नहीं था और ना ही पुलिस ने कोई सख्ती बरती, आम जनप्रतिनिधि भी सिर्फ संवेदना प्रकट करने और सिस्टम को कोसने में व्यस्त थे।
शैलेन्द्र पांडे जिनके नाम पर पहले ही वोट पड़ चुका था उनका कहना है कि बड़ी बड़ी बातें करने से सिस्टम में।सुधार नहीं आता । इतना बड़ा चुनाव है तो सीसीटीवी की व्यवस्था क्यूं नहीं है अगर आधार कार्ड और बाकी फोटो आइडेंटीफिकेशन के बाद ही वोटिंग करने दी जा रही है और फिर भी ऐसा कुछ वाकिया घटता है तो इसे लापरवाही का नाम दे या फिर फर्जीवाड़े का।
पत्रकार शैलेन्द्र पांडे के द्वारा सोशल मीडिया पर इस घटना के बारे में अवगत करने के उपरांत कुछ और भी लोगों ने शिकायत की उनका वोट भी पहले ही डाला जा चुका था। कई लोगो के नाम शीट में नहीं मिले, वगैरह वगैरह। इक्कीसवीं सदी में जगह हम हर ग़जह आधुनिकता और तकनीकी की तारीफ करतें नहीं थकते वही कुछ सिस्टम आज भी पुराने ज़माने की ही तरह काम करता हैं और इलेक्शन प्रणाली की प्रकिया देखककर तो यही लगता है।